विदाई एवं सम्मान समारोह के उपलक्ष्य में काव्य गोष्ठी का आयोजन

बदायूॅं - कारवाने अमजद अकादमी एवं बदायूॅं हिंदी काव्य मंच के संयुक्त तत्वावधान में श्री संजीव वार्ष्णेय जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी बदायूॅं से अन्य जनपद स्थानान्तरण होने पर विदाई एवं सम्मान समारोह के उपलक्ष्य में काव्य गोष्ठी का आयोजन बदायूॅं जनपद के मशहूर उस्ताद शाइर जनाब अहमद अमजदी की अध्यक्षता में बदायूॅं विकास भवन के सभागार में किया गया जिसके मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी श्री केशव कुमार जी तथा विशिष्ट अतिथि श्री सुरेश चन्द्र, जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी, बदायूॅं व संचालन सुनील शर्मा 'समर्थ' के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का आरंभ मॉं सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके किया गया। सर्वप्रथम सरस्वती वंदना बदायूॅं जनपद की कवियत्री दीप्ति सक्सेना 'दीप' के द्वारा प्रस्तुत की गई। अहमद अमजदी बदायुनी ने पढ़ा - सर से पा तक है एक सा संजीव, दोस्त मेरा है आईना संजीव। बारहा मैनें आजमाया है, दोस्त 'अहमद' है बावफा संजीव।।
डा. अरविन्द धवल ने कहा -
यहाॅं से ज्यादा कासगंज में नित अभिनव सम्मान मिले।
रचें नित्य नव कीर्तिमान औ शब्द-शब्द को मान मिले।।
सादिक अलापुरी ने फ़रमाया -
अपनी ऑंखों में सितारों को पिरोयें कब तक।
हम शबे- हिज़्र तेरी याद में रोयें कब तक।।
सुनील 'समर्थ' ने पढ़ा -
बिना स्वार्थ के बॉंटते, जो सुनील हैं प्रीत।
मिलते हैं सौभाग्य से, जग में ऐसे मीत।।
शैलेन्द्र मिश्र देव ने कहा-
फैसलों में सख़्त लेकिन नर्म था लहज़ा रखा,
संजीव जी ने हर समय ईमान को ज़िंदा रखा।
आपको जाना पड़ेगा हुक्म है सरकार से ,
इस ख़बर ने देव की आँखों को है भीगा रखा।
संजीव वार्ष्णेय ने पढ़ा-
घर पास में जाने को मित्रों, यह शहर बदायूॅं छोड़ दिया।
घर जाते-जाते हमने मित्रों, अब दिल से रिश्ता जोड़ दिया।।
राजवीर सिंह 'तरंग' ने कहा-
दुनिया में कुछ लोग निराले होते हैं।
सबके दिल में बसने वाले होते हैं।
दरिया भी दे देता है रस्ता-
जो लहरों से लड़ने वाले होते हैं।
बिल्सी से पधारे विष्णु असावा ने कहा -
जर्जर काया बूढ़ी मॉं की, घर में टूटी खटिया पर।
चार-चार बेटे हैं फिर भी उसे भरोसा लठिया पर।
कवियत्री दीप्ति सक्सेना 'दीप' ने कहा-
वो है बेटी किसी कसाई की,
कत्ल ही राह है कमाई की।
बावट से पधारे अच्छन बाबू 'अहबाब' ने कहा-
लिखा है नाम जो दिल पे मिटा हम कैसे पाएंगे।
मिला है प्यार जो तुमसे भुला हम कैसे पाएंगे।।
ओजस्वी जौहरी ने कहा -
लगता है अभी तुमने दर्पण नहीं देखा,
अनगिनत भुजंग लिपटे चंदन नहीं देखा।
पंडित अमन मयंक शर्मा ने कुछ यूॅं कहा
हम अपने दिल में यादों का जो रौशन दान रखते हैं,
इसी के वास्ते संजीव हम कुछ ज्ञान रखते हैं।
तुम्हारी खुशबूओं से दिल हमारा भी मो'अत्तर हो,
इसी बाइस तो अपने दिल में हम गुलदान रखते हैं।
अचिन 'मासूम' ने कहा-
मैं जहाॅं भी रहूॅं जिस सफ़र में रहूॅं,
है जरूरी की तेरी नज़र में रहूॅं।
बिलाल बदायुनी ने कहा -
नींद नहीं आई खुआब आते भी क्या,
कैसे मंज़र कोई खुशनुमा देखते।
उज्ज्वल वशिष्ठ ने पढ़ा- हॉं, बिछड़ना हमें गॅंवारा है,
फैसला ये अगर तुम्हारा है।
सय्यद अमान फ़र्रूख़ाबादी ने कहा-
तू लगे है "अमान"को संजीव, खून के मेरे रिश्ते जैसा तू।
तू फ़रिश्ता नहीं मगर मुझको, लग रहा है फ़रिश्ते जैसा तू।।
ललितेश कुमार 'ललित' ने पढ़ा - प्रेम का बंधन है ऐसा जिसे मुश्किल निभा पाना, बहुत मुश्किल है इस जग में राधा मीत बन जाना। देर रात तक चले कार्यक्रम में अब्दुल माजिद एड. एसटीओ, चंद्र दीप एएस ओ, संजय आर्य स्टेनो, राकेश कुमार वरिष्ठ लिपिक, महाराज सिंह समाज कल्याण विभाग, अरविंद कुमार नाजिर, संजीव कुमार अधिशासी अभियंता विद्युत, शहंशाह विद्युत विभाग आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्टर - आकाश पाठक
No Previous Comments found.