धार्मिक सद्भाव और सूफी परंपरा का सुंदर संगम, देर रात तक झूमते रहे श्रोता

बहराइच - उर्रा ईदगाह मैदान में आयोजित भव्य कव्वाली कार्यक्रम में सूफियाना माहौल देखने को मिला। मंच पर मशहूर कव्वाल नूर अली और रिजवान एंड पार्टी ने अपनी शानदार आवाज़ और सूफी कलामों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में दूर-दूर से आए लोगों की भारी भीड़ उमड़ी और देर रात तक लोग कव्वाली की जादुई धुनों पर झूमते नजर आए।
‘भर दो झोली मेरी या मोहम्मद’ पर झूम उठा मैदान'
कार्यक्रम की शुरुआत क़सीदा और नात-ए-पाक से हुई।
इसके बाद जब नूर अली और रिजवान एंड पार्टी ने मशहूर कलाम “भर दो झोली मेरी या मोहम्मद” गाया,
तो पूरा ईदगाह मैदान “नारे तकबीर, अल्लाह-ओ-अकबर” की गूंज से गूँज उठा।
हर उम्र के लोग—बुजुर्ग, युवा और बच्चे—सभी सुरों के इस समंदर में खो गए।
धार्मिक एकता का संदेश
इस कार्यक्रम का विशेष पहलू यह रहा कि इसमें हर समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
स्थानीय जनप्रतिनिधि, समाजसेवी और व्यापारियों ने आयोजन को सराहा और कहा कि “ऐसे कार्यक्रम समाज में प्रेम, भाईचारा और एकता का संदेश देते हैं। जब संगीत सूफियाना होता है, तो दिलों में मोहब्बत अपने आप उतर जाती है।”
प्रकाश व्यवस्था और सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम
ईदगाह मैदान को आकर्षक लाइटिंग और रंग-बिरंगी सजावट से सजाया गया था। स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया। कार्यक्रम में शांति और अनुशासन का सुंदर उदाहरण देखने को मिला। सूफी संगीत की गूंज से गूंज उठा बहराइच कव्वाली कार्यक्रम का समापन ‘दमादम मस्त कलंदर’ और ‘मेरे महबूब क़यामत होगी’ जैसे लोकप्रिय सूफी गीतों से हुआ। आखिरी प्रस्तुति के दौरान पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। लोगों ने आयोजकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि “ऐसे आयोजन हमारी संस्कृति की पहचान हैं, इन्हें हर साल जारी रहना चाहिए।”
नूर अली और रिजवान एंड पार्टी कव्वाली पेश करते हुए ईदगाह मैदान में सूफी धुनों पर झूमते श्रोताकार्यक्रम स्थल पर उमड़ी भारी भीड़ और जगमगाता
रिपोर्टर - रामनिवास गुप्ता
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