सदियों से बंद पड़ा मिहीपुरवा का ऑक्सीजन प्लांट — अधिकारी जानकर भी बने अनजान!

बहराइच - जनपद बहराइच के ग्रामीणों की जिंदगी दांव पर, करोड़ों की सरकारी मशीनें धूल फांक रही हैं विकासखंड मिहीपुरवा का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। जिस ऑक्सीजन प्लांट को कोविड-19 महामारी के दौरान लाखों रुपए की लागत से स्थापित किया गया था, वह अब सालों से बंद पड़ा है। सबसे बड़ी बात यह है कि संबंधित अधिकारी इसकी जानकारी होने के बावजूद अनदेखी का रवैया अपनाए हुए हैं।
धूल फांक रही मशीनें, जंग खा रही पाइपलाइनें
ऑक्सीजन प्लांट परिसर में लगी महंगी मशीनें अब जंग खा रही हैं। कंट्रोल पैनल, पाइपलाइन और सिलेंडर भराव प्रणाली सभी धूल में दबी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्लांट शुरू होने के कुछ ही महीने बाद खराब हो गया था,लेकिन उसकी मरम्मत या संचालन के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
मरीजों की जान पर संकट
सीएचसी मिहीपुरवा में प्रतिदिन सैकड़ों मरीज इलाज के लिए पहुँचते हैं। गंभीर बीमारियों, डिलीवरी और सांस से जुड़ी समस्याओं वाले मरीजों को अक्सर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है,लेकिन प्लांट बंद होने के कारण यहाँ ऑक्सीजन सिलेंडर तक मैन्युअली मंगवाए जाते हैं। अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि “अगर आपात स्थिति आ जाए, तो मरीज को तुरंत बचा पाना मुश्किल हो जाता है।”
लाखों का बजट,फिर भी मरम्मत नहीं
सरकारी रिकार्ड के अनुसार प्लांट की स्थापना में लाखों रुपये खर्च किए गए थे। नियमित रखरखाव और तकनीकी जांच के लिए बजट भी जारी किया गया,लेकिन ज़मीनी स्तर पर न तो कोई मरम्मत हुई और न ही कोई टेक्निकल टीम भेजी गई। अधिकारियों की चुप्पी इस पूरे मामले पर कई सवाल खड़े करती है।
ग्रामीणों ने जताया आक्रोश
ग्राम पंचायत मिहीपुरवा, सेमरहना, बाबागंज और आस-पास के गांवों के लोगों ने बताया कि “अगर यह प्लांट चालू होता, तो मरीजों को जिला अस्पताल भागना नहीं पड़ता। हम कई बार अधिकारियों को शिकायत दे चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।”
अधिकारियों की चुप्पी पर उठे सवाल
स्थानीय जनप्रतिनिधि और समाजसेवियों ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य विभाग और ब्लॉक प्रशासन इस मुद्दे को जानबूझकर नजरअंदाज कर रहा है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि — “ऑक्सीजन प्लांट की देखरेख के लिए कोई स्थायी इंजीनियर या ऑपरेटर नहीं नियुक्त किया गया था, जिससे यह तकनीकी रूप से बंद हो गया।”
जनहित की मांग — जल्द शुरू हो प्लांट
ग्रामीण जनता की मांग है कि शासन-प्रशासन तत्काल संज्ञान लेकर ऑक्सीजन प्लांट को फिर से चालू कराए। इसके लिए तकनीकी जांच, मरम्मत कार्य और स्थायी कर्मचारी की तैनाती आवश्यक बताई गई है। लोगों का कहना है कि सरकार जब “स्वस्थ उत्तर प्रदेश” का नारा दे रही है, तो फिर ऐसे प्लांट का बंद रहना अपने आप में एक बड़ी विफलता है।
मिहीपुरवा का ऑक्सीजन प्लांट केवल एक मशीन नहीं, बल्कि सैकड़ों ग्रामीणों की जिंदगी का सहारा है। अधिकारियों की लापरवाही और प्रशासनिक सुस्ती ने इसे “जीवनदान केंद्र” से “जंग का अड्डा” बना दिया है। अब देखना यह है कि क्या शासन इस पर ध्यान देगा या फिर यह प्लांट आने वाले वर्षों तक राजनीतिक बयानबाजी का प्रतीक बना रहेगा।
रिपोर्टर - रामनिवास गुप्ता
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