जमनी गांव का पुलिया हुआ ध्वस्त, अब कौन सुनेगा, सामने है विधानसभा चुनाव

बिहार बांका :  जिले के बेलहर विधानसभा क्षेत्र के जमनी गांव में 2012 में जामनी गांव से चांदन देवघर मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए जमनी नदी में एक पुल बनाया गया था। लेकिन नव निर्माण पुल में विभागीय उदासीनता के कारण अनियमिताएं के शिकार होने के कारण, चंद्र सालों में पुल ध्वस्त हो गया। परिणाम स्वरूप उसे क्षेत्र के हजारों ग्रामीणों को नित्य दिन आवागमन में भारी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। सी न्यूज़ भारत रिपोर्टर राकेश कुमार बच्चू द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने 2025 में होने वाली विधानसभा चुनाव में अपनी गांव की समस्या पर आधारित चिंताएं व्यक्त करते हुए गांव की सामूहिक विचार रखा। और कहा इस बार के विधानसभा चुनाव में जमनी गांव के मतदाता जाति, धर्म, पार्टी के नाम पर नेता का चयन नहीं करेंगे। बल्कि हम सभी इस बार हमारे गांव की समस्या, किसानों की समस्या, हम जनमानस की आवागमन की समस्याओं को गंभीरता पूर्वक सुनें और काम करने वाले स्वच्छ छवि के प्रत्याशीयों का ही चयन करेंगे। बेलहर विधानसभा क्षेत्र के जमनी गांव के कमल किशोर चौधरी, सुधीर चौधरी, प्रमिला देवी, त्रिलोकी चौधरी, सचिन चौधरी, मनोज चौधरी आदि ने बताया कि 2012 में जमनी नदी में पुल निर्माण किया गया था। लेकिन यह पुल अनियमिताएं के शिकार में चंद सालों में ध्वस्त हो गया। अब टूटा फूटा सीमेंट से बना छज्जा शोभा की वस्तु बन गई है। आज गांव की आलम या हो गई है कोई महिला प्रशव से पीड़ित है तो उसे चांदन अस्पताल तक पहुंचाने के लिए गांव तक एंबुलेंस लाने के लिए बड़ा मुश्किल हो गया है। एंबुलेंस को तो बुलाते हैं लेकिन नदी के उस पार ही रखना पड़ता है। हम किसानों को नित्य दिन 100, 200 ,50 किलो सब्जी लेकर मार्केट जाना पड़ता है। लेकिन पुलिया तक आते-आते हम सबों की मुसीबत बढ़ जाती है और घर से साइकिल बाइक को धक्का देने के लिए एक और आदमी को बुलाना पड़ता है। चाहे वह घर का सदस्य हो या मजदूर, इसकी समस्या का निदान हम सब अपने क्षेत्र के विधायक माननीय मनोज यादव को किया था। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द से जल्द नव निर्माण पुलिया का किया जाएगा। लेकिन अब तक आश्वासन फीकी पड़ गई और अब सामने विधानसभा चुनाव आने वाला है। इसलिए उम्मीद क्या करें पुल बनने की बाट जोह रहे हैं। हम सब मुसीबतों से सामना करते-करते थक चुके हैं कब बनेगा पुल अब लगभग 10 साल बीत गए। अब तो सुन लो सरकार। कई महिलाओं ने कही कि जदयू प्रखंड अध्यक्ष हमारे  चाहते नेता हैं उनकी बातों में आकर हम सब अपने क्षेत्र के विधायक का दीदार करते हैं। आते ही कुर्सी चाय पानी सारी व्यवस्था करते हैं। पतिदेव भी भूखे प्यासे विधायक जी के साथ-साथ चलते हैं। लेकिन अब लगता है पुलिया के नाम पर ढाक के तीन पात। मेरे गांव का क्या होगा भविष्य, राहगीरों ने त्राहिमान त्राहिमाम कर रहे हैं रास्ता के लिए। इसलिए इस बार विधानसभा चुनाव में जाति धर्म पार्टी से हटकर कोई ठोस कदम उठाएंगे।

 

 


रिपोर्टर : राकेश कुमार बच्चू  

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