बिहार की शासन-प्रशासन उदगार की सच्ची कहानी

बांका : जिले के चांदन थाना अंतर्गत शासन प्रशासन की उदगार की सच्ची कहानी एक मामला प्रकाश में आया है। जो दृश्य या दर्शक दीर्घा में रहकर इंसान चिंतन मनन करने के बाद उन्हें झकजोर कर रख देता है।इस क्षेत्र के इंसानों के ऊपर लगने वाली सारे नियम कानून कोर्ट, कचहरी, थाना की हथकड़ी क्षणभंगुर लगता है। कहानी इस प्रकार है कि एक अननोन इंसान एक पदाधिकारी के यहां मिलने जाता है, और साहब की छोटी-मोटी आवश्यकताओं को पूर्ति करने लगता है। फिर क्या थी परिचय हुआ। और कहता है सर आपके घर में एक अच्छी घड़ी, पलंग, बच्चों की अच्छी स्कूल में पढ़ाई के लिए दाखिला होनी चाहिए । क्या बाबू मेरे पास इतनी पैसा कहां से आएगा। हाल ही में बहन की शादी करनी है। सर मैं तो हूं किस दिन काम में आएंगे। क्या चाहिए। अच्छा बोलेंगे, बोलने की जरूरत नहीं है सब व्यवस्था कर देता हूं। बाबू ने पलंग के साथ-साथ स्कॉर्पियो, बच्चों की पोशाक एवं घर की आवश्यकता अनुसार पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए सारी व्यवस्था की गई। इस क्रम में बाबू एवं शासन प्रशासन के बीच चाय पीना,साथ में घूमना, उनके परिजन से घुलमील जाना स्वाभाविक था। मित्रता की संबंध इतनी मजबूत हो गई, बड़े से छोटा अधिकारी तक बाबू की पहचान करना इस शासन प्रशासन का धर्म बन गया। अंत में बाबू ने चाय पीने के दौरान कहा कि बगल वाली जमीन पर मेरी नजर है। उसे मैं घेरना चाहता हूं। दो पैसा हो जाएगा। मिल बैठ कर बांट लेंगे। जैसे बियाही की जमीन एक ही खसरा में दो प्लॉट, एक का हुआ खारिज दाखिल, दूसरा बिहार सरकार, बाराटांड़ ,सिमरिया, चांदन नदी, स्मशान, छठ घाट, यहां तो जंगल की जमीन को भी बेच भी डाला है। लेकिन आपकी मौजूदगी होगी, सब संभव है सर। शासन- प्रशासन ने कहा कि बाबू यह सरासर के नियम का उल्लंघन होगा, लेकिन चलो आप इतनी ध्यान मेरे ऊपर रखे हैं। मैं और शासन प्रशासन के सभी अधिकारी मौजूद रहेंगे, छिपे रुस्तम में भी मेरी मौजूदगी में तुम घेरलो, भला तुमको जब बुलाते हैं, जब कुछ भी मांगते हैं तुम तुरंत आ जाते हो मेरी मांगे पूरी करते हो, शासन प्रशासन का भी धर्म बनता है आपकी सहयोग करना चाहिए ,चाहे थोड़ी देर के लिए गलत ही क्यों नहीं हो। बिहार की शासन प्रशासन की मिसाल की पहचान यही है। जो सामर्थ है उसके लिए कोई कानून नहीं, गरीबों के लिए कानून आज भी है। और यह हमेशा कायम रहेगा। अंत में यह कहानी काल्पनिक है। प्रमाणित नहीं।
रिपोर्टर : राकेश कुमार बच्चू
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