काव्य गोष्ठी एवं मुशायरे का हुआ आयोजन

बाराबंकी :  दरिया बाद अंजुमन फरोग-ए-इल्म-ए-अदब कस्बा अलियाबाद  बाराबंकी द्वारा कस्बा अलियाबाद के बड़ा महल में "किसी की दाल हिंदुस्तान में गलने नहीं देंगे" शीर्षक से काव्य गोष्ठी/तरही मुशायरा का आयोजन किया गया।गंगा जमनी शैली की यह काव्य गोष्ठी पूर्व प्रधान हिफजुर्रहमान (बाबू महल) के संरक्षण में आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता शहीब कौसर रुदौलवी ने की तथा संचालन जुनैद अलीबादी ने किया। मुख्य अतिथि अरशद सअद रदलवी तथा विशिष्ट अतिथि असलम सैयदन पुरी रहे। मुशायरे की शुरुआत क्रमश: असलम सैयदन पुरी की नाते  पाक तथा डॉ. मथुरा प्रसाद सागर अलियाबादी  की सरस्वती वंदना से हुई।

संस्था के अध्यक्ष इमरान अलियाबादी ने कस्बे की गंगा जमनी संस्कृति तथा धार्मिक सद्भाव पर गर्व करते हुए देश में अमन-चैन का माहौल बनाए रखने तथा धर्म या मज़हब का भेदभाव किए बिना अपनी मातृभूमि की अखंडता और मजबूती के लिए हर प्रकार की कुर्बानी देने पर जोर दिया।

 मुशायरा/काव्य गोष्ठी में पसंद की गई कविताओं और गजलों की पंक्तियां प्रस्तुत हैं

ये माना तुम हमारे जिस्म के हिस्से में शामिल हो,
मगर छाती पे तुमको मूंग हम दलने नहीं देंगे।
     शाहीब कौसर रुदौलवी

सियासी चाल नफ़रत की यहां चलने नहीं देंगे
अलीआबाद के गुलशन को हम जलने नहीं देंगे
जलाकर मशअलें हम एकता और भाई चारे की
हवाएं अब कहीं नफ़रत की हम चलने नहीं देंगे।
     इमरान अलियाबादी

शुजाअत का ये सरमाया मिला है हमको वरसे में
इसे लालच के आतिश दान में जलने नहीं देंगे।
     अरशद सअद रुदौलवी

खुलूसो  इश्को उल्फत भाईचारा चाहते हैं हम
दिए नफ़रत के हरगिज़ हम यहां जलने नहीं देंगे।
     असलम सैयदान पुरी

जुनून ए शौक़ को गर फूलने फलने नहीं देंगे
तो फिर ये पांव के छाले हमें चलने नहीं देंगे।
     अकील ज़िया

रिपोर्टर : नफीस अहमद

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