दीने इस्लाम अल्लाह की इबादत और समाजसेवा का नाम है - मौलाना हैदर मेहदी

फतेहपुर/ बाराबंकी : माहे अज़ा मुहर्रम के प्रथम 10 दिन समाप्ति की ओर अग्रसर हैं बीते  दिन 9 मुहर्रम के अवसर पर जगह जगह मजालिसे अज़ा आयोजित की गई।जिसमें कर्बला के शहीदों का ज़िक्र किआ गया। छोटे इमाम बाड़े की मजलिस को सम्भोदित करते हुए मेरठ से आये हुए मौलाना हैदर मेहदी ने समाजसेवा और मानवता की अहमियत पर प्रकाश डाला।मौलाना ने कहा कि मुहर्रम का मक़सद ज़ुल्म अत्याचार के विरोध में आवाज़ उठाना और समाजसेवा करना है! इमाम हुसैन ने इंसानियत का पाठ पढ़ाया और बताया कि सिद्धांतो के लिए अपनी जान को क़ुर्बान कर देना चाहिए! इमाम हुसैन ने बताया कि ज़िल्लत (अपमान) की ज़िन्दगी (जीवन) से इज़्ज़त (सम्मान) की मौत बेहतर है। मौलाना हैदर मेहदी ने मसाएब में इमाम हुसैन के 18 साल के बेटे अली अकबर की शहादत का ज़िक्र किआ जिसको सुनकर अज़ादार अश्क़बार हो गए। 9 मुहर्रम की रात भर इमाम चौक पर तज़िआ रखे जाते हैं और नौहीखानी की जाती है और 10 मुहर्रम जिसको आशूरा कहा जाता है कर्बला में तज़िआ दफ़न किये जाते हैं!

रिपोर्टर : नफीस अहमद

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