ग़म ग़ीन माहौल में निकाला गया आशूर (10 मुहर्रम) का जुलूस

बाराबंकी - फतेहपुर 10वीं मुहर्रम पर निकलने वाला ऐतिहासिक मातमी जुलूस सुबह बड़ा इमाम बाड़ा से निकाला गया जो दोपहर स्थानीय कर्बला पहुंचकर समाप्त हुआ। जुलूस से पहले मेरठ से आये मौलाना हैदर मेहदी ने आमाले आशूर (विशेष नमाज़ और ज़ियारत) और मजलिसे अज़ा हुए। मजलिस में मौलाना ने कहा कि इमाम हुसैन पर रोना और मातम करना सुन्नते रसूल (सल) है। मौलाना ने कहा कि हमारे पास दीन अहलेबैत के ज़रिये से आया है जो अज़ादारी करते थे और अपने चाहने वालों को अज़ादारी करने का हुक्म देते थे। मसाएब में मौलाना ने इमाम हुसैन की रुक़्सत पढ़ी जिसको सुनकर अज़ादार ज़ोर ज़ोर से गिरिया करने लगे।रुक़्सत के वक़्त इमाम हुसैन ने अपनी बहन ज़ैनब से बात चीत की, अपने घर वालों को बहन ज़ैनब को सुपुर्द किआ। अपने बीमार बेटे ज़ैनुल आबेदीन से मिले और उनको समझाया। मजलिस के बाद जुलूस निकाला गया जो निर्धारित रास्तो से होता हुआ कर्बला पंहुचा, कर्बला पहुंच कर तज़िआ सुपुर्दे खाक किये गए।

रिपोर्टर - नफीस अहमद

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