सब कुछ फ़ना हो जाएगा बजुज़ चेहरये परवरदिगार : मौलाना सै. काज़िम मेहदी उरूज जौश
बाराबंकी - “सब कुछ फ़ना हो जाएगा बजुज़ चेहरये परवरदिगार”इंसान को अपनी ज़ेहानत पर नहीं बल्कि अपने ख़ालिक़ का शुक्र अदा करना चाहिए। जो नेमत पर शुक्रे-परवरदिगार अदा करता है, ख़ुदा उसकी नेमतों में बरकत अता करता है। यह बात मौलाना सैय्यद काज़िम मेहदी उरूज जौनपुरी ने मजलिसे बरसी मरहूमा कनीज़ फ़ातिमा व आसिफ अब्बास को ख़िताब करते हुए कही।मौलाना ने कहा कि जब सब कुछ मिट जाने वाला है तो इंसान बक़ा (हमेशा रहने) की तलाश क्यों करता है? बक़ा चाहिए तो आले रसूल से मोहब्बत करो । अल्लाह हर इंसान का इम्तेहान लेगा — ख़ौफ़, भूख, माल, जान और औलाद के ज़रिए। जिसमें जितनी क्षमता होगी, उसी अनुसार उसका इम्तेहान होगा। आख़िर में करबला के नौजवान अली अकबर अ. के मसायब पेश किए गए जिन्हें सुनकर माहौल ग़मगीन हो उठा । मजलिस से पहले अजमल किन्तूरी, डॉ. मुहिब मौरानवी, आरिज जरग़ांवी, शीराज़, हाजी सरवर अली करबलाई और मो. हसन अब्बास सल्लमहू ने नज़राने-ए-अक़ीदत पेश किया।मजलिस की नज़ामत अजमल किन्तूरी ने की, जबकि बानियाने मजलिस ने तमाम आए हुए अज़ादारों और मेहमानों का शुक्रिया अदा किया।
रिपोर्टर - नफीस अहमद
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