किताब तारीख़े इस्लाम दुनिया मे तहलका मचायेगी, पैगम्बर के जन्मदिन से लेकर आज तक के इस्लामी आंदोलन का इतिहास

बरेली :  आल इंडिया मुस्लिम जमात के तत्वावधान मे मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी की लिखी हुई किताब "तारीख़े इस्लाम मुकम्मल" का विमोचन हुआ। खचाखच भरे हाल मे इदारे शरीया पटना बिहार के चीफ मुफ्ती व काज़ी अब्दुल मन्नान कलीमी ने विमोचन करते हुए कहा कि सुन्नी सूफी बरेलवी आवाम और खवास अभी तक कट्टरपंथी विचारधारा के लेखको की किताबे पढ़ते थे, मगर मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने ये किताब लिखकर भारत के मुसलमानो पर बहुत बढ़ा एहसान किया है। रहती दुनिया तक मौलाना का यह कारनामा याद किया जाता रहेगा। आज कि नौजवान नस्ल को अपना इतिहास पढ़ना चाहिए, जो क़ौम अपने बुजुर्गो का इतिहास नही पड़ती, और उनके नक्शे कदम पर नही चलती, वो एक न एक दिन भविष्य के अंधकार मे चली जाती है। मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी आज के लिखने वाले नही है बल्कि ये पढ़ाई के जमाने से लेखक हैं, आला हज़रत और उनके खानदान पर सबसे ज्यादा पुस्तकें मौलाना ने ही लिखी है, मौलाना कि किताबें और इनके द्वारा लिखे गये आर्टिकल देश विदेश मे काफी मकबूल है। मौलाना ने एक लम्बा अरसा हज़रत ताजुश्शरिया के साथ गुजारा, उनका रुहानी फैजान इनके साथ हमेशा रहता है। जमाते एहले सुन्नत के ऊपर जो इल्मी कर्ज़ था वो मौलाना ने किताब लिखकर उतार दिया है। मेरे गुरु अक्सर कहा करते थे कि तकरीर करना सबसे आसान काम है और सबसे मुश्किल काम किताब लिखना है। सैकड़ों किताबो के पढ़ने के बाद फिर कही सौ पेज़ का शोध पेपर तैयार होता है, मगर यह किताब 6 जिल्दो मे और 3500 पेज़ पर आधारित है।

किताब तारीख़े इस्लाम का विमोचन करते हुए नगर निगम बरेली के महापौर डॉ उमेश गौतम ने मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी की सरहाना करते हुए कहा कि जब मौलाना बोतले या लिखते हैं तो इस्लाम की अच्छे ढंग से व्याख्या करते हैं, वो मुस्लिम समाज की आवाज है, मै उनको तारीख़े इस्लाम लिखने पर डेर सारी बधाइयां देता हूं यह किताब पूरे भारत मे हिंदू मुस्लिम भाई चारे का पैगाम देती है और जो लोग तकरीर के माध्यम से लड़ाने और नफ़रत फैलाने का काम करते हैं उनको तारीख़े इस्लाम पढ़ना चाहिए। कोई धर्म चाहे हिंदू हो या मुस्लिम या अन्य आपस मे लड़ाने कि बात नहीं करता बल्कि सौहार्द और सम्मान की बात करता है, ये भारतवर्ष प्रेम व मुहब्बत का है, सभी धर्मों के लोग एक साथ मिल-जुलकर रहें, एक दुसरे का सम्मान करे यही समय कि मांग है। मैंने जब से नगर निगम की कमान संभाली है तो मैंने विकास धर्म देखकर नही किया बल्कि मै शहर को खुबसूरत और बेमिसाल बनाने के लिए काम किया है, मै दिल कि अथाह गहराईयों के साथ मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी को मुबारकबाद पेश करता हूं।

वक्फ विकास निगम के निदेशक शफाअत हुसैन ने कहा कि इस्लाम धर्म बहुत अमन पसंद और लिबर्र है, उसको चंद मुठ्ठी भर लोगों ने हिंसाकवादी की शक्ल मे पेश किया है। उन लोगो को तारीख़े इस्लाम किताब से बहुत बड़ा झटका लगेगा जो लोग अपनी पूरी जिंदगी सिर्फ जाकात खाने में लगायें हुए हैं, मज़हब व मिल्लत का कोई काम नहीं कर रहे है। मै चाहूंगा कि तारीखे़ इस्लाम देश विदेश की विभिन्न लाइब्रेरीयो, विश्व विद्यालयो के साथ ही साथ संसद और विधान सभा की लाइब्रेरी में भी पहुचायी जाये। मै इस सम्बन्ध मे हर सहयोग करने को तैयार हूं।

व्यापार मंडल के महामंत्री और प्रसिद्ध समाजसेवी राजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि इस्लाम के सम्बन्ध मे जो दुसरे धर्मों के दरमियान गलत फहमियां पैदा हो गई है उनको दूर करना बहुत जरूरी है, हम सब लोग आपसी प्यार मोहब्बत के साथ भारत मे रहते आयें है यही हमारी पहचान है। मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने बहुत महान काम किया मै व्यापार मंडल कि तरफ से उनको मुबारकबाद पेश करता हूं। इस्लाम के परिचय पर इस तरह की किताबे उर्दू भाषा के साथ हिंदी और अंग्रेजी मे भी आनी चाहिए, इससे भाईचारा बढ़ेगा।

मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने किताब का परिचय कराते हुए कहा कि मुझे किताब कि तैयारी मे दस साल का समय लगा है, लिखने के लिए मैंने भारत कि बड़ी बड़ी लाइब्रेरीयो मे जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, साथ ही 12 विदेशी देशों का भ्रमण किया वहा कि मशहूर लाइब्रेरीयो मे रहके अरबी, फारसी, अंग्रेजी किताबो का अध्ययन करने के बाद तारीख़े इस्लाम को बड़ी मेहनत व मशक्कत के बाद लिखा। किताब के लिखने के दरमियान मुझे बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, कभी इस तरहा का ख्याल आता था कि लेखन का कार्य छोड़ दूं मगर मैंने हिम्मत नही हारी और मजबूती से लगा रहा, जिसका नतीजा है कि आज किताब छपकर मंज़रे आम पर आ गयी। मौलाना ने घोषणा कि ये किताब बहुत जल्द हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती और मलयालम जुबान में भी छपकर आयेगी। साथ ही अरबी भाषा में भी अनुवाद कराकर अरब दुनिया में भी प्रकाशन कराया जायेगा।

कार्यक्रम का संचालन मौलाना मुजाहिद हुसैन कादरी ने किया, और आभार हाफ़िज़ नूर अहमद अज़हरी व हाजी नाजिम बेग ने किया और व्यवस्था करने वालो में शाहिद रज़वी, हाजी नाजिम बेग, रोमान अंसारी, डॉ अनवर रज़ा कादरी, ज़ोहेब रज़ा, हाफ़िज़ रजी हसन, मौलाना शहनवाज़, साहिल रज़ा अंसारी ने मुख्य किरदार अदा किया।

रिपोर्टर : बी.एस.चन्देल
 

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