डिजिटल युग और सोशल मीडिया: आम लोगों की ज़िंदगी में क्रांति

बरेली : कभी जिनके घरों में चूल्हा नहीं जलता था, आज उनकी मोबाइल की स्क्रीन से दुनिया को रौशनी मिल रही है। यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि डिजिटल युग और सोशल मीडिया के दौर की हकीकत है। जिस भारत की आत्मा गाँवों में बसती है,अब वहां के युवाओं की आवाज़ गलियों, खेतों और चाय की दुकानों से निकलकर सोशल मीडिया पर गूंजने लगी हैं। पहले जहां रोज़गार के नाम पर गाँव-देहात के युवाओं को शहरों की ओर पलायन करना पड़ता था, वहीं आज एक स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्शन ने उन्हें अपने ही गांव में रोज़गार का ज़रिया दे दिया है। कोई खाना बनाकर यूट्यूब पर वीडियो डाल रहा है, कोई सिलाई-बुनाई की कला इंस्टाग्राम पर दिखा रहा है, कोई कविताएं पढ़ रहा है, तो कोई समाज की समस्याओं पर बात कर रहा है। बरेली स्मार्ट सिटी के हजियापुर इलाका इन दिनों प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान बन चुका है यहां बड़ी संख्या में यूट्यूब पर अपने रोजगार को संसाधन बन चुके हैं इलाके के रहने वाले ईशान अली ने MBA की पढ़ाई करके यूट्यूब की दुनिया में कदम रख उसके बाद बड़ी संख्या में लोगों उन से जुड़ते चले गए, अली कहते है कि इलाके में बड़ी संख्या में लोग अपनी स्टोरी अलग-अलग टॉपिक पर तैयार करते है उसके बाद यूट्यूब चैनल पर डालते जिससे उन्हें उम्मीद से ज्यादा पैसे भी मिलते हैं ईशान अली की यूट्यूब चैनल पर इस वक्त सब्सक्राइबर यूट्यूब पर 3 करोड़ से भी अधिक है, ईशान कहते हैं कि उनकी जिंदगी में जो एकदम बदलाव आया उसकी अहम वजह सोशल मीडिया है उनके पिता साइकिल मिस्त्री हुआ करते थे लेकिन परिवार की माली हालत अच्छे नहीं थे चुके उनके पिता को मकान भी बनाना मुश्किल हुआ करता था
इलाके के जावेद अली कहते हैं कि वह वेत का काम करते थे और उसमें 200 से ₹300 बमुश्किल काम पाए थे आज यूट्यूब की दुनिया में अच्छा पैसे कमाते हैं और वह लोगों को रोजगार भी दे जावेद कब यूट्यूब आईडी पर बड़ी संख्या में सब्सक्राइबर तेजी के साथ बढ़ रहे हैं जावेद कॉमेडी के लिए काफी फेमस है 65 साल के मोबिन कहते है वह गली गली मोहल्ले में जाकर लोगों के घर का पुराना कबाड़ा खरीद कर अपने परिवार की जिम्मेदारियां उठाते थे आज जब से सोशल मीडिया एक्टिव हुआ है तब से 2022 में उन्होंने अपनी यूट्यूब मूवी चाचा के नाम से आईडी बनाई उसके बाद तेजी से ग्रोथ करने लगे मोबिन कहते हैं कि उन्होंने अपनी एक बेटी की शादी यूट्यूब की कमाई से कर दी है और आगे भी तीन बेटियों की शादी करेंगे मोबिन की 7 साल की बेटी सानिया का भी अच्छा रोल है वह बेटी पढ़ाओ और मां-बाप का आदर और सम्मान कैसे किया जाता है इसका वह खूबी अच्छा रोल निभाती मोबिन कहते हैं की कबड्डी के काम में उन्हें इतना मुनाफा नहीं होता है लेकिन जब से वह यूट्यूब की दुनिया में आए तो बहुत कुछ बदल गया इलाके के अरशद अली है जो पेंटर का काम करते थे उम्र 23 साल है अरशद कहते हैं कि वह पेंटर के काम में 400 से लेकर ₹500 कमाते थे लेकिन यूट्यूब की दुनिया ने उनके घर की जिम्मेदारियां को और आगे बढ़ा दिया ईशान अली का छोटा भाई आदिल उसके भी 11 लाख 90000 सब्सक्राइबर यूट्यूब पर है और आदिल के कहते हैं कि मां-बाप की परेशानियों को देखकर यूट्यूब को अपना शहर बनाया है और वह अपने भाई के साथ ही मिलकर आगे बढ़ा रहे हैं आज हजियापुर इलाका यूट्यूब के नाम से अपनी पूरी यूपी में अलग पहचान बन चुका है लगातार ये कारवां आगे बढ़ रहा हैउन्होंने वादा किया था कि बोले युसूफ अली कहते हैं कि युटुब ने जिस तरीके से लोगों को देखने पर मजबूर कर दिया है तो उसी हिसाब से बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए वह इस तरीके का कंटेंट तैयार करते हैं उसके बाद वह अपनी आईडी पर अपलोड कर देते हैं यह बदलाव सिर्फ रोज़गार तक सीमित नहीं है। यह आत्मसम्मान का, पहचान का, और स्वतंत्रता का बदलाव है। जिन लोगों के पास कभी अपनी बात रखने का कोई मंच नहीं था, वे अब हज़ारों, लाखों लोगों तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं। महिलाओं ने अपने घरों से निकलकर मोबाइल स्क्रीन पर जगह बनाई है, छोटे दुकानदार ऑनलाइन ऑर्डर लेने लगे हैं और बेरोज़गार युवा डिजिटल मार्केटिंग, ग्राफिक डिज़ाइनिंग, कंटेंट क्रिएशन जैसे नए क्षेत्रों में रोज़गार पा रहे हैं। इस डिजिटल क्रांति ने न सिर्फ रोजगार बढ़ाया है, बल्कि सोच का दायरा भी फैलाया है। गांवों की युवा पीढ़ी अब तकनीक से जुड़कर दुनिया की खबर रखती है, और खुद भी बदलाव का हिस्सा बनती जा रही है। बेशक, इस बदलाव के साथ कुछ चुनौतियाँ भी हैं—फर्ज़ी खबरें, मानसिक दबाव और समय की बर्बादी जैसे मुद्दे सामने आते हैं—मगर अगर इस ताक़त का सही इस्तेमाल किया जाए तो यह दौर हमारे समाज को आत्मनिर्भर और जागरूक बना सकता है। तहसील के स्तर पर भी हम देखते हैं कि छोटे-छोटे कस्बों से निकलकर युवक-युवतियाँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुंच बना रहे हैं। ऐसे उदाहरण अब आम होते जा रहे हैं जब किसी छोटे से गांव की लड़की खाना बनाना सिखाते हुए लाखों की कमाई कर रही है, या कोई किसान अपने अनुभवों को साझा कर दूसरे किसानों की मदद कर रहा है। इसलिए यह कहना गलत न होगा कि सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि आम आदमी के लिए एक ताक़त बन चुका है। यह ताक़त अब गांवों से निकल रही है, और एक नया भारत बना रही है— जिसे हम डिजिटल, और आत्मनिर्भर लेह सकते हैं।
रिपोर्टर : बी.एस.चन्देल
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