बयाना में गर्मी का कहर: तेज धूप और लू ने जनजीवन किया बेहाल

बयाना : क्षेत्र इन दिनों तीखी गर्मी और लू के थपेड़ों से झुलस रहा है। लगातार दूसरे दिन भी तेज धूप और गर्म हवाओं ने आमजन के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। दोपहर के समय सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहता है, बाजार सुनसान नजर आते हैं और लोग जरूरी कामकाज को भी टालकर घरों में दुबके रहने को मजबूर हैं। गर्मी का प्रकोप इस कदर है कि सुबह 9 बजे के बाद से ही बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। नरौली निवासी जलसिंह सोलंकी, जो फील्ड में काम करते हैं, बताते हैं, "गर्म हवाएं चेहरे पर चाबुक जैसी लगती हैं। ऐसे में काम करना किसी सजा से कम नहीं है।"
कामकाजी वर्ग पर सबसे अधिक असर
प्रचंड गर्मी से सबसे अधिक प्रभावित श्रमिक वर्ग हो रहा है। खेतों में काम करने वाले किसान हों या निर्माण स्थलों पर कार्यरत मजदूर — सभी पर इसका प्रतिकूल प्रभाव साफ दिखाई दे रहा है। बढ़ती गर्मी ने न सिर्फ शरीर को झुलसा दिया है, बल्कि रोज़मर्रा की दिनचर्या को भी अस्त-व्यस्त कर दिया है।
बच्चे और बुजुर्ग सबसे अधिक संवेदनशील
चिकित्सकों की मानें तो इस भीषण गर्मी में बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। शरीर में पानी की कमी, चक्कर आना और लू लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। अस्पतालों में भी गर्मी से संबंधित शिकायतों के मामले बढ़ने लगे हैं।
धूप से बचाव के अपने तरीके
स्थानीय लोग लू और धूप से बचाव के लिए पारंपरिक उपाय अपना रहे हैं। कोई सिर पर गीला गमछा रखकर बाहर निकलता है तो कोई छाता का सहारा ले रहा है। हालात इतने खराब हैं कि आमतौर पर चहल-पहल से भरे बाजार अब खाली दिखाई देने लगे हैं।
ठंडी वस्तुओं की बढ़ी मांग
इस गर्मी में राहत देने वाली वस्तुओं — जैसे कि आइसक्रीम, ठंडे पेय, नारियल पानी, छाछ और बेल का जूस — की मांग में बढ़ोतरी हुई है।
चिकित्सकों ने आमजन से अपील की है कि वे दोपहर 12 से 3 बजे के बीच बाहर निकलने से बचें और अधिक से अधिक पानी का सेवन करें।
रिपोर्टर : लोकेद्र शर्मा
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