बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन में घमासान, कांग्रेस में बड़ा बवाल

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भीतर खलबली तेज हो गई है। पहले चरण के नामांकन पूरे होने के बावजूद सीटों के बंटवारे को लेकर कोई अंतिम सहमति नहीं बन पाई है। टिकट वितरण को लेकर भी महागठबंधन खासकर कांग्रेस में नाराजगी चरम पर है। इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और रिसर्च कमेटी के चेयरमैन आनंद माधव ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर भेजा है।

आनंद माधव समेत कई अन्य नाराज नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस कर पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पार्टी में समर्पित और जमीनी कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं देकर हाल ही में शामिल हुए लोगों को मौका दिया गया है, जिससे पार्टी में गहरा असंतोष है।

आनंद माधव का तीखा हमला

प्रेस वार्ता के दौरान आनंद माधव ने कहा, अगर आलाकमान 33,000 वोट से हारे हुए उम्मीदवार को टिकट दे सकता है, तो 113 वोट से हारे नेता को क्यों नहीं? कांग्रेस के इकलौते यादव विधायक छत्रपति यादव को टिकट से वंचित कर दिया गया, जबकि उनकी जगह दूसरे को मौका दिया गया। ये केवल एक व्यक्ति की बात नहीं है, ये पूरे यादव समाज के सम्मान का प्रश्न है।

उन्होंने टिकट वितरण प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस कहती है कि उसके पास ‘पैरामीटर’ हैं, लेकिन उस प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं दिख रही। पूर्व विधायक गजानन शाही ने भी नाराजगी जताते हुए कहा कि वे केवल 113 वोट से हारे थे, फिर भी उन्हें टिकट नहीं मिला।

बिहार प्रभारी पर गंभीर आरोप

कांग्रेस विधायक छत्रपति यादव ने आरोप लगाया कि बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और विधायक दल के नेता शकील अहमद खान को दबाव में लेकर अपने पक्ष में कर लिया है। वहीं बांका जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जिलाध्यक्षों की कोई बैठक तक नहीं की गई और राहुल गांधी के दफ्तर में भेजे गए मेल तक नहीं पहुंचते।

महिला अध्यक्ष और जिलाध्यक्षों की नाराजगी

मक्का जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने भी नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर उन्हें आज इस्तीफा देने को कहा जाए तो वे तुरंत दे देंगे। कांग्रेस की महिला प्रदेश अध्यक्ष को भी टिकट नहीं दिया गया, जिससे महिलाओं में भी असंतोष है।

नेताओं का कहना है कि बिहार कांग्रेस अब केवल नाम की रह गई है, और स्लीपर सेल की तरह काम कर रही है। दिल्ली में बैठकर बनाई गई रणनीतियों ने पार्टी को जमीनी स्तर पर कमजोर कर दिया है।

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में गुटबाजी और टिकट वितरण को लेकर उठे सवाल महागठबंधन के लिए खतरे की घंटी हैं। जिस तरह से वरिष्ठ नेता एक-एक कर पार्टी से किनारा कर रहे हैं, उससे यह साफ है कि पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा।

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