जिला चिकित्सालय में भर्ती सिकलसेल और थैलेसीमिया पीड़ित मासूमों के लिए किया आयोजन

बैतूल : मासूमों को पानी से बचाने के लिए वितरित की रंग-बिरंगी छतरियां सेवा दिवस के रूप में मनाया मां शारदा सहायता समिति संरक्षक का जन्मदिन जिला चिकित्सालय में भर्ती सिकलसेल और थैलेसीमिया पीड़ित मासूमों के लिए किया आयोजन जिला चिकित्सालय में भर्ती सिकलसेल और थैलेसीमिया पीड़ित मासूमों के लिए मां शारदा सहायता समिति ने मंगलवार को एक अभिनव सेवा कार्यक्रम आयोजित किया। यह आयोजन समिति के संरक्षक पंजाबराव गायकवाड के जन्मदिन के उपलक्ष्य में सेवा दिवस के रूप में किया गया, जिसमें जरूरतमंद बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाने का प्रयास किया गया।
संस्था के प्रतिनिधि शैलेंद्र बिहारिया और पिंकी भाटिया ने जानकारी दी कि वर्षा ऋतु को ध्यान में रखते हुए इन मासूमों को पानी से बचाने के लिए रंग-बिरंगी छतरियां वितरित की गईं। साथ ही, बच्चों को खेल के प्रति प्रेरित करने के उद्देश्य से बाल फुटबॉल का वितरण भी किया गया। बच्चों की पौष्टिकता का ध्यान रखते हुए उन्हें ड्रायफूड भी दिया गया।
इस अवसर पर उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ता संजय शुक्ला, मुकेश गुप्ता और हिमांशु सोनी ने कहा कि वर्षा ऋतु में बच्चों को छाता मिलने से उन्हें सुविधा मिलेगी, स्कूल में उनकी उपस्थिति भी बढ़ाई जा सकती है। क्योंकि आज भी कई बच्चे छाते के अभाव में स्कूल नहीं जा पाते हैं।
- पढ़ाई के साथ-साथ खेल को भी जीवन का जरूरी हिस्सा बनाने की दी प्रेरणा
कार्यक्रम में उपस्थित पंडित अजय शुक्ला, दीप मालवीय, निमिष मालवीय, मनोज तिवारी, सुनील पाल, प्रकाश बंजारे, सुरेश सोनी और राजेश बोरखड़े ने पीड़ित मासूमों को सामग्री वितरित की और उनकी व्यक्तिगत समस्याएं सुनीं। उन्होंने रक्त की आवश्यकता होने पर तत्काल रक्त उपलब्ध कराने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई। श्रीमती हेमसिंग चौहान और डॉक्टर अंकिता सीते ने बच्चों को चॉकलेट बांटी और उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ खेल को भी जीवन का जरूरी हिस्सा बनाने की प्रेरणा दी।
- जन्मदिन पर केक काटने से बेहतर है किसी का दुःख बांटना
इस सेवा आयोजन के दौरान जब मासूमों के हाथों में रंग-बिरंगे छाते और फुटबॉल पहुंचे, तो उनके चेहरे खिल उठे। आयोजन के अंत में शैलेंद्र बिहारिया ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा आओ चुपके से खुशियां रख आए उनके सिरहाने में, जिन्हें वर्षों लगे हैं मुस्कुराने में।समिति के संरक्षक पंजाबराव गायकवाड ने कहा कि जन्मदिन पर केक काटने से बेहतर है किसी का दुःख बांटना। यही सेवा का असली अर्थ है। इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि खुशियां बांटी जाएं तो वे दवा से ज्यादा असर करती हैं।
रिपोर्टर : संदीप वाईकर
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