भदोही लोकसभा में जाहिद बेग और हाकिम लाल के क्षेत्र में सपा को खानी पड़ी मात

भदोही : लोकसभा चुनाव में भले ही भाजपा ने लगातार तीसरी जीत दर्ज करके जीत की हैट्रिक तो लगा ली लेकिन इंडि गठबंधन के लोग थोड़ी और मेहनत तथा रणनीति के तहत काम करते तो भदोही में भाजपा को जीत की हैट्रिक लगाना मश्किल हो जाता। लेकिन सपा ने अति उत्साह में हंडिया और भदोही विधाधसभा में उतना मेहनत नही किया जितना करना चाहिए। क्योकि 2022 के विधानसभा चुनाव में भदोही से जाहिद बेग को जहां 1 लाख से अधिक मत मिला था वही लोकसभा के चुनाव में केवल 95 हजार मत ही मिल सका इसी तरह हंडिया में भी विधानसभा चुनाव में हाकिमलाल बिन्द को 84 हजार मत मिले थे वही इस बार लोकसभा चुनाव में केवल 77 हजार मतों से संतोष करना पड़ा। जबकि दोनो विधानसभा में सपा के ही कद्दावर नेता और विधायक है जहां से सपा समेत इंडि गठबंधन को मुंह की खानी पड़ी और अंततः भदोही की सीट जीतने का ख्वाब फिर अधूरा रह गया।
विधानसभा चुनाव की अपेक्षा लोकसभा चुनाव में सपा ने प्रतापपुर और ज्ञानपुर विधानसभा में बेहतर प्रदर्शन किया। लेकिन ज्ञानपुर में भाजपा से आगे न बढ़ सकी। जबकि लोकसभा चुनाव में प्रतापपुर में सपा आगे रही। 2022 विधानसभा चुनाव में प्रतापपुर से सपा ने 2 हजार और ज्ञानपुर में करीब 35 सौ मतों से पिछले चुनाव की अपेक्षा बढ़त बनाई। लेकिन लोकसभा चुनाव में सपा ने केवल प्रतापपुर विधानसभा में भाजपा करीब 8 हजार मतों से पीछे रही नही तो अन्य चार विधानसभा में भाजपा आगे ही रही। हंडियां में 11 हजार, ज्ञानपुर में 27 हजार भदोही में 35 सौ तथा औराई विधानसभा 12 हजार मतों से भाजपा ने जीत दर्ज की है। इस तरह लोकसभा चुनाव में सपा थोड़ी सी मेहनत और कर देती तो परिणाम बदल सकता था लेकिन हंडियां के हाकिमलाल बिन्द और भदोही से जाहिद का जादू न चल सका। ये दोनो नेता विधानसभा चुनाव में खुद पाये मतों जितना भी सपा को न दिला सके और अंत में सपा को हार का एक बार फिर सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में देखा गया कि जहां ज्ञानपुर से विधायक विपुल दूबे विधानसभा चुनाव में मिले मतों से करीब 30 हजार तथा इसी तरह औराई विधायक दीनानाथ भाष्कर ने भी अपने विधानसभा क्षेत्र से करीब उतना मत दिलाने में सफल हुए जितना 2022 के विधानसभा चुनाव में दीनानाथ भाष्कर को मत मिला था। कुल मिलाकर भाजपा ने भदोही सीट से लगातार तीसरी बार जीत कर हैट्रिक तो लगा ली है लेकिन भाजपा के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में प्रतापपुर और औराई से सही संदेश नही है ठीक उसी तरह सपा को भी अपनी हंडिया और भदोही की सीट को बचाये रखने के लिए अभी से ही सतर्क रहने की जरूरत है। भदोही लोकसभा सीट पर इस बार के चुनाव में भाजपा के लोग मोदी मैजिक के सहारे रहकर भाजपा कारकर्ताओं को खास तवज्जों नही दिये वही सपा के लोग इस भ्रम में थे कि तीन विधानसभा में सपा जीती है और इस बार कांग्रेस और टीएमसी का साथ मिल रहा और ललितेश पति ब्राहमण है कौन हरा सकता है। यही भ्रम सपा के नेताओं के मन में था। जहां पर सपा को हार का मुंह देखना पड़ा। भाजपा के लोग भी इस जीत को लेकर भले ही उत्साहित है लेकिन जिस तरह लड़ाई थी इससे कोई अंजान नही है। इसलिए किसी भी नेता अथवा राजनीतिक दल के लोगो को भ्रम में तथा अतिवाश्वास में नही रहना चाहिए। क्योकि अति विश्वास में रहने वाल अक्सर धोखा खाता है। वैसे राजनीति में कब क्या हो जाये यह भविष्य के गर्त में रहता है। भदोही लोकसभा चुनाव में जो भी बातें हुई, राजनीति हुई उन सभी चीजों को भुलाकर सभी को भदोही के विकास के लिए अपने हिसाब से बेहतर करने कि जरूरत है। जो हमें जिम्मेदारी मिली है वही ईमानदारी पूर्वक करना ही हमारा धर्म है।
रिपोर्टर : प्रदीप दूबे
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