भाईदूज का पर्व कब और क्यों मनाया जाता हैं , जाने

भाईदूज एक पारंपरिक हिंदू त्योहार हैं, जो भाई-बहन के प्रेम, स्नेह और सहयोग को समर्पित हैं.यह त्योहार दिवाली के बाद मनाया जाता हैं, जिसमें बहनें अपने भाई की लंबी आयु, सुख और समृद्धि की कामना करती  हैं.इस दिन भाई अपनी बहन से तिलक लगवाता हैं और उन्हें उपहार देता हैं.यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाता हैं, परिवार में एकता और सौहार्द को बढ़ाता हैं और पारिवारिक मूल्यों को संरक्षित करता हैं. भाईदूज भगवान यम और यमुना की पूजा से भी जुड़ा हैं, जो मृत्यु के देवता और नदी की देवी हैं. भाई दूज को यम द्वितीया भी कहते हैं और ये द्वितीया तिथि को मनाई जाती हैं. वही इस वर्ष भाईदूज का पर्व 3 नवंबर 2024  को मनाया जाएगा.

भाईदूज पर्व का महत्व 
भाईदूज का पर्व भाई बहनों के प्यार और रिश्तों को बरकरार रखने वाला त्यौहार हैं .यह त्योहार भगवान यम और उनकी बहन यमुना के प्रेमपूर्ण रिश्ते की याद में मनाया जाता हैं, जो मृत्यु के देवता और नदी की देवी हैं. इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक लगवाता हैं, जिससे उसे पापों से मुक्ति मिलती हैं. यह त्योहार भाई और बहन के बीच भावनात्मक समर्थन को बढ़ावा देता हैं.इस त्योहार का महत्व धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से हैं. यह त्योहार हमें परिवारिक मूल्यों, प्रेम और सहयोग को महत्व देने के लिए प्रेरित करता हैं. भाईदूज एक महत्वपूर्ण त्योहार हैं जो भाई-बहन के रिश्ते, पारिवारिक मूल्यों, सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक महत्व को मजबूत बनाता हैं.

पौराणिक कथा
भाईदूज की पौराणिक कथा भगवान यम और उनकी बहन यमुना से जुड़ी हुई हैं.भगवान यम, मृत्यु के देवता, अपनी बहन यमुना से बहुत प्रेम करते थे. यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर बुलाया और उन्हें विशेष भोजन कराया. यम इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने यमुना को वरदान दिया कि जो भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक लगवाएगा, उसे नरक की यातना से मुक्ति मिलेगी.यह कथा भाई-बहन के प्रेम और स्नेह को दर्शाती हैं. यह भी बताती हैं कि कैसे एक बहन अपने भाई के लिए प्रेम और समर्थन का प्रदर्शन कर सकती हैं. इस कथा के आधार पर, भाईदूज का त्योहार मनाया जाता हैं, जिसमें भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक लगवाता हैं और उन्हें उपहार देता हैं.

भाईदूज पर बहनें रखती क्यों रखती हैं व्रत?
भाईदूज पर बहनें अपने भाई की लंबी आयु, सुख और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं.बहनें अपने भाई की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं।व्रत रखने से भाई के जीवन में सुख और समृद्धि आती हैं.यह व्रत भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाता हैं. व्रत रखने से परिवार में एकता और सौहार्द बढ़ता हैं.यह व्रत धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इससे बहनें अपने भाई के लिए पुण्य कमाती हैं.

व्रत की विधि
बहनें सूर्योदय से पहले उठती हैं और स्नान करती हैं.वे भगवान यम और यमुना की पूजा करती हैं.बहनें व्रत का संकल्प लेती हैं.व्रत रखने वाली बहनें भोजन नहीं करती हैं जब तक भाई का तिलक नहीं करती है.  वही मुहूर्त के अनुसार  बहनें अपने भाई को तिलक लगवाती हैं और उन्हें भोजन कराती हैं, और फिर खुद भोजन करती हैं.

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