एक झटके में धराशाई होगी लखनऊ की सहारा सिटी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक लंबे समय से ठहरे एक भू-संवेदनशील अध्याय का अब अंतिम पन्ना लिख दिया गया है। गोमतीनगर के विपुल खंड में फैले लगभग 170 एकड़ में बसे 'सहारा शहर' पर लखनऊ नगर निगम ने आधिकारिक रूप से कब्जा जमा लिया है। कभी भव्यता, चमक-धमक और वीआईपी मेहमानों के स्वागत के लिए मशहूर यह इलाका अब इतिहास बनने की ओर है।नगर निगम की यह सख्त कार्रवाई लीज की शर्तों के उल्लंघन को लेकर की गई है, जिससे सहारा इंडिया का इस भूमि पर तीन दशकों से चला आ रहा स्वामित्व खत्म हो गया है। अब इस ज़मीन पर बनने जा रहा है एक ऐतिहासिक स्मारक—देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में। साथ ही यहां मंत्री आवासों के निर्माण की भी योजना है।

लेकिन सोचिए सहारा शहर कोई आम आवासीय कॉलोनी नहीं थी। यह एक ऐसा सपना था, जहां बॉलीवुड की चकाचौंध और राजनीति की गूंज दोनों एक साथ सुनाई देती थीं। अंदर बना 200 सीटों वाला प्राइवेट सिनेमा हॉल, जहां फिल्में रिलीज़ होती थीं, और दुर्गा पूजा के भव्य आयोजनों में अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, धर्मेंद्र, मिथुन चक्रवर्ती, गोविंदा जैसे सितारे मेहमान बनकर आते थे।इतना ही नहीं, जब-जब कोई वीआईपी मेहमान देश-विदेश से आता, वो सीधे सहारा शहर में रुकता था... पूरा इलाका किसी किले की तरह सुरक्षा घेरे में रहता था। लेकिन वक्त ने अब करवट ली... और ये जगमगाती बस्ती धीरे-धीरे सन्नाटे में तब्दील हो गई।नगर निगम की कार्रवाई के दौरान सबसे मार्मिक दृश्य तब देखने को मिला जब सहारा शहर में कार्यरत कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी अपने बकाया वेतन और भविष्य की चिंता में फफक पड़े। महीनों से वेतन न मिलने की मार झेल चुके ये लोग अब अपने आशियाने और रोज़गार दोनों के छिनने से टूट चुके हैं।कार्रवाई के दौरान कुछ कर्मचारियों ने मांग की कि अब भी अंदर रह रहे परिवारों को हटाया जाए। इनमें सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की पत्नी स्वप्ना रॉय का नाम भी सामने आया, जो कुछ समय पहले तक यहीं रहती थीं।

दरसल ये कार्यवाही किसी बड़ी वजह से ही की गई है .. 1995 में नगर निगम ने सहारा इंडिया को आवासीय विकास के लिए यह ज़मीन दी थी। लेकिन कंपनी ने ना तो 150 करोड़ रुपये की लीज रकम जमा की और ना ही आवासीय प्रोजेक्ट के वादों को पूरा किया। इसके बजाय यहां कॉर्पोरेट ऑफिस, गेस्ट हाउस और अन्य अस्थायी निर्माण कर दिए गए।अब जब लीज शर्तों का खुला उल्लंघन हुआ, नगर निगम ने चारों गेट सील कर दिए और परिसर में मौजूद 40 से ज्यादा मवेशियों को कांहा उपवन भेज दिया गया।

कुल मिलाकर देखा जाए तो अब जब नगर निगम ने पूर्ण नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है, तो जल्द ही इस भूखंड पर 'अटल स्मृति स्थल' के निर्माण की कवायद शुरू होने की संभावना है। साथ ही प्रदेश सरकार के मंत्री आवास भी इसी क्षेत्र में विकसित किए जा सकते हैं।कभी सितारों का बसेरा, आज प्रशासन का अधिग्रहण... 'सहारा शहर' अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है। वक्त गवाह है कि जो बस्तियां कभी रौशनी से गुलजार थीं, वे अनुशासन और नीति की अनदेखी के चलते कब वीरान हो जाती हैं—यह उसका जीवंत उदाहरण है।

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.