माथे पर तिलक केवल रिवाज नहीं सनातनियों की पहचान है

माथे पर तिलक सनातनियो की शान है
माथे पर तिलक सनातन धर्म की पहचान है
सनातन धर्म अनुशासन की दूसरी परिभाषा है . छोटे- छोटे रीति- रिवाजों का महत्व खास होता है . पूजा में दीप जलाने से प्रसाद वितरण तक अलग अलग नियम होते हैं , जिनका पालन किया जाना बहुत जरूरी माना जाता है . ऐसे ही तिलक लगाने का एक अलग महत्व हिंदू धर्म में होता है .तिलक केवल माथे पर लगाया गया रंग नहीं होता है, बल्कि तिलक एक ऊर्जा होती है .तिलक को देवी-देवताओं का प्रसाद माना गया है. हिंदू धर्म में लगाया जाने वाला तिलक न सिर्फ एक मांगलिक प्रतीक है, बल्कि सनातन परंपरा को भी प्रदर्शित करता है.
तिलक लगाने के नियम की बात करें तो इसका सीधा संबंध हाथ की उंगलियों से होता है. हाथ में दी गई पांचों उंगलियों से तिलक करने को लेकर धार्मिक ग्रंथों में अलग-अलग महत्व और नियम बताए गए है ..जैसे-
- तिलक हमेशा स्नान करने के बाद ही लगाना चाहिए, बिना नहाए कभी भी तिलक न लगाएं
- हिंदू धर्म में तिलक लगाकर सोना वर्जित माना जाता है, कहते हैं ऐसा करने से ईश्वर रुष्ट होते हैं.
- अगर आप अपने आपको तिलक लगा रहे हैं तो तिलक लगाने से पहले भगवान या अपने इष्ट देव को जरूर तिलक लगाएं.
- खुद को तिलक हमेशा अनामिका उंगली से ही लगाएं
- इसके अलावा अगर आप किसी दूसरे को तिलक लगा रहे हैं तो उसके लिए आप अपने अंगूठे का इस्तेमाल करें
सनातन धर्म की एक खास खासियत है कि ये धर्म केवल रिवाजों पर नहीं बल्कि विज्ञान पर चलता है . तिलक केवल धार्मिक नजर से जरूरी नहीं होता है ..बल्कि तिलक का वैज्ञानिक महत्व भी है ... कहते हैं माथे पर तिलक लगाने से मस्तिष्क को ठंडक मिलती है.. इसके अलावा व्यक्ति का आत्मविश्वास भी बढ़ता है..शुक्रवार के दिन चंदन या कुमकुम का तिलक लगाने से घर में सुख शांति आती है.. शनिवार के दिन भस्म का तिलक लगाने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं.. अगर आप रविवार के दिन लाल चंदन का तिलक लगाते हैं तो आपके मान सम्मान में बढ़ोतरी होगी.. साथ ही आपका आर्थिक पक्ष भी मजबूत होगा..
No Previous Comments found.