बिजली की समस्या से कही आप भी तो परेशान नही है??

बिहार - भारत में बिजली की  मांग बढ़कर 2024-25 में लगभग 250 GW तक पहुंच गई है,मगर भारत की बिजली व्यवस्था इस माग को पूरा करने में असमर्थ है। सोलर सिस्टम का जहां एक ओर विस्तार किया जा रहा है वही दूसरी ओर बिजली के पुराने सिस्टम को संतोषजनक तरीके से अपडेट नही किया जा रहा है इस अनियमिता और अनियंत्रण के कारण बिजली की सप्लाई प्रभावित होती है। जिससे उपभोक्ता तक विजली सही से नही पहुंच पा रही है ।बिजली गुल होने की समस्या जितनी विकट है उतनी ही पावर सप्लाई की समस्या भी बढ़ गई है।कभी पावर इतनी लो होती है। कि,बिजली के उपकरण धीमें चलते है और कभी कभी इतने हाई आते है कि बिजली के उपकरण खराब हो जाते है,जिससे लोगो को नुकसान उठाना पड़ता है।
सभी कम्पनी अपनी बिजली के उपकरण 230w के उपकरण बनाती है मगर बिजली की की सप्लाई 240w से 250w तक हो जाती है जिससे बिजली की उपकरण खराब हो जाता है। पहले के समय में ट्रांसफर, बिजली के तार और बिजली के अन्य उपकरण में कोपर के तार का प्रयोग होता था परंतु अब कोपर की जगह एल्युमीनियम का प्रयोग होने लगा है जो आए दिन खराब होता है और बिजली सप्लाई को बाधित होती है। थर्मल पावर (कोयला) संयंत्रों की क्षमता 2019-20 के 230 GW से बढ़कर 2023-24 में सिर्फ 243 GW हुई—बहुत मामूली वृद्धि जो बढ़ती मांग को पूरा नहीं कर पा रही है। रिन्यूएबल (सौर, पवन) क्षमता में सुधार हुआ है  2019-20 में 88 GW से बढ़कर 2023-24 में 143 GW—but यह अभी भी कुल ऊर्जा उत्पादन का सिर्फ 13% है।रिन्यूएबल ऊर्जा, विशेषकर सौर,दिन के समय काम में आती है। शाम–रात में मांग बढ़ जाती है और बैटरी स्टोरेज की कमी इन असंतुलनों को और बढ़ा देती है। भारत में हाई-स्केल बैटरी ऊर्जा भंडारण क्षमता केवल 5 GW से कम है, जो कि मांग के अनुरूप संतुलन बनाने के लिए काफी कम है। रिन्यूएबल परियोजनाओं के साथ स्टोरेज सिस्टम का संयोजन अभी बहुत विस्तृत रूप से लागू नहीं हुआ है, जिससे grid stability में समस्याएं रहती हैं। कई क्षेत्रों में अंतिम कनेक्टिविटी  नहीं होने से घरों तक निरंतर एवं विश्वसनीय बिजली नहीं पहुँच पा रही है।अंतर्निहित (inter-regional) ट्रांसमिशन क्षमता काफी है लेकिन इसका उपलब्ध उपयोग सिर्फ ~25% है। यानी बिजली पहुँचाने में गंभीर बाधाएं हैं।
भारी वर्षा, तूफान, वॉटरलॉगिंग और तूफानी हवाओं के कारण कई इलाकों में बिजली का नुकसान और बाधाएं हो रही हैं। उदाहरण के-लिये जयपुर और भोपाल में हाल में लगातार power outages और flooding कीघटनाएँ रिपोर्ट हुई हैं।
कई नवीनीकरण ऊर्जा परियोजनाएँ grid से जुड़ने में देरी का सामना कर रही हैं, जिसके कारण grid congestion, curtailment और वित्तीय खबरदारी बढ़ रही है। उदाहरण के-लिये राजस्थान में सौर उत्पादन में 48% तक की कटौती हुई।
ग्रिड प्लानिंग और ट्रांसमिशन सुधार अभी लम्बा रास्ता तय करना बाकी है। बिजली वितरण में चोरी और तकनीकी–वितरण क्षति (T&D losses) 23% तक पहुंचती है; और कुछ राज्यों में यह इससे भी अधिक हो सकती है। ये कारण मिलकर बिजली की उपलब्धता और विश्वसनीयता में कमी लाते हैं। उच्च मांग बनाम सीमित थर्मल क्षमता थर्मल क्षमता कम रही, demand तेजी से बढ़ी है सौर ऊर्जा की अपर्याप्तता (शाम को) स्टोरेज की कमी और समायोजन की समस्याएं ग्रिड & ट्रांसमिशन अंतर्निहित नेटवर्क अपर्याप्त प्रयोग, last-mile connectivity कमजोर मौसम संबंधी बाधाएँ वर्षा, तूफान आदि से इंफ्रास्ट्रक्चर बाधित होती है। चोरी और वितरण नुकसान तकनीकी और गैर-तकनीकी लॉस से बिजली की उपलब्धता प्रभावित हो रही है। “वर्तमान में बिजली की समस्या”—मूलतः यह एक जटिल संतुलन की समस्या है। बढ़ती मांग, अपर्याप्त थर्मल विस्तार, सीमित स्टोरेज, कमजोर वितरण नेटवर्क और मौसमी बाधाएँ—इन सबका समिश्रण बिजली संकट का कारण बन रहा है। सरकार और नियामक संस्थाएँ रिन्यूएबल ऊर्जा, ट्रांसमिशन सुधार, वितरण नेटवर्क मजबूत करने और बैटर स्टोरेज पर जोर दे रहे हैं, लेकिन समय लगेगा।
 
लेखिका - सुनीता कुमारी 

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