पप्पू यादव और कांग्रेस का नया गठजोड़, महागठबंधन को मिलेगा फायदा?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सियासत का पारा चढ़ता जा रहा है। कांग्रेस ने अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी कर दी है, जिसमें पार्टी के बड़े नेता तो शामिल हैं ही, लेकिन एक सवाल हर किसी के मन में है कि क्या कांग्रेस ने इस बार सही ट्रंप कार्ड खेले हैं? और हाँ, पप्पू यादव का नाम भी इसमें शामिल है, जो लंबे समय से कांग्रेस के साथ रिश्ते को लेकर विवादों में रहे हैं।
आपको बता दें कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के लिए अपने 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है। इस सूची में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, के. सी. वेणुगोपाल और अशोक गहलोत जैसे शीर्ष नेता शामिल हैं। इसके अलावा भूपेश बघेल, दिग्विजय सिंह, अधीर रंजन चौधरी, सचिन पायलट, रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे नेता भी बिहार में कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार करेंगे। इसके अलावा उत्तर भारत से लेकर पूर्वोत्तर तक के कई युवा और क्षेत्रीय नेता भी स्टार प्रचारक बनाए गए हैं। इन नेताओं में मनोज राम, अल्का लांबा, कन्हैया कुमार, पवन खेड़ा, इमरान प्रतापगढ़ी, जीतु पटवारी, रंजीता रंजन, राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव, जैसे बड़े चेहरे भी शामिल हैं। खास बात ये है कि पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव की कांग्रेस में औपचारिक एंट्री इस लिस्ट के साथ हुई है। उनके साथ उनकी सांसद पत्नी रंजीता रंजन का नाम भी शामिल है। बता दें रंजीता रंजन पहले से ही कांग्रेस में हैं, जबकि पप्पू यादव को पहली बार पार्टी ने आधिकारिक तौर पर गले लगाया है।
जाहिर है पप्पू यादव का कांग्रेस के साथ रिश्ता लंबे समय तक कभी प्यार, कभी तकरार वाला रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस में कराया था, लेकिन बिहार में कांग्रेस ने उन्हें आधिकारिक सदस्य के रूप में नहीं माना। जिसके बाद लोकसभा चुनाव में उन्होंने निर्दलीय रूप से पूर्णिया सीट जीतकर अपनी ताकत साबित की। इसके बावजूद कांग्रेस उन्हें सार्वजनिक मंचों पर अक्सर शामिल नहीं करती थी। लेकिन अब, बिहार विधानसभा चुनाव में, कांग्रेस ने पप्पू यादव को स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल करके साफ कर दिया है कि वह पार्टी के सक्रिय और भरोसेमंद नेता बन चुके हैं। उनकी लोकप्रियता खासकर सीमांचल और कोसी इलाके में बहुत है, जहां यादव, मुस्लिम, दलित और अति पिछड़ी जातियों के बीच उनकी मजबूत पकड़ है। कांग्रेस की यह रणनीति साफ है कि महागठबंधन में तालमेल बनाए रखते हुए, पप्पू यादव जैसे सशक्त नेता के जरिए सीमांचल और मधेपुरा इलाके में अपनी पकड़ मजबूत करना है। आपको बता दें बिहार में कांग्रेस इस बार 60 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और पिछली बार 70 सीटों पर चुनाव लड़कर केवल 19 सीटें जीत पाई थी। इस बार पार्टी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है और पप्पू यादव को स्टार प्रचारक बनाने का मकसद भी यही है।
हालांकि जहां एक तरफ कांग्रेस के स्टार प्रचारक बनाए जाने पर पप्पू यादव में खुशी की लहर है तो वहीं दूसरी तरफ चुनाव से पहले पप्पू यादव को बड़ा झटका भी लगा है। जी हां सांसद पप्पू यादव को इनकम टैक्स विभाग द्वारा नोटिस भेजा गया है। जिसमें उनसे यह पूछा गया है कि वो जनता को बांटने के लिए इतना पैसा कहां से लाते हैं। आपको बता दें बिहार के वैशाली जिले के मनियारी गाँव में हाल ही में आई भीषण बाढ़ ने सैकड़ों परिवारों को उजाड़ दिया था। ऐसे समय में सांसद पप्पू यादव वहाँ पहुँचे और राहत सामग्री और आर्थिक सहयोग प्रदान किया। इस दौरान उनका बाढ़ पीड़ितों को पैसे बांटने का वीडियो भी वायरल हुआ था। जिसके बाद उनपर चुनाव की घोषणा के बाद कैश बांटने पर FIR दर्ज की गई है।
हालांकि कुल मिलाकर देखा जाए तो पप्पू यादव के शामिल होने के साथ कांग्रेस ने सीमांचल और कोसी इलाके में अपनी राजनीतिक स्थिति मज़बूत कर दी है। अब देखना यह होगा कि यह स्टार प्रचारक किस हद तक कांग्रेस के लिए जीत की गारंटी साबित होते हैं। बिहार का चुनावी रण अब और भी दिलचस्प होने वाला है। क्या महागठबंधन की यह ताकत चुनावी अखाड़े में काम करेगी या फिर कहीं राह में रोड़ा आएगा।
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