बिहार के रण में योगी की एंट्री! बिहार में छाया 'योगी फैक्टर'

बिहार विधानसभा चुनाव के रण में अब माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका है। एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर के बीच, बीजेपी ने अपने स्टार प्रचारकों की फौज उतार दी है। लेकिन इनमें सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहे हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। एक तरफ उनकी फायर ब्रांड छवि, दूसरी ओर साफ-सुथरी और सख्त प्रशासनिक पहचान, बिहार की जनता पर उनका असर साफ नजर आ रहा है।

आपको बता दें बिहार विधानसभा चुनाव में प्रचार अभियान अब अपने चरम पर पहुंच गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जहां अपने 40 स्टार प्रचारकों को चुनावी मैदान में उतारने की रणनीति तैयार की है, वहीं सबसे ज्यादा चर्चा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हो रही है। योगी ने गुरुवार को पटना के दानापुर विधानसभा क्षेत्र से अपने प्रचार अभियान की शुरुआत की, जहां से भाजपा ने राम कृपाल यादव को मैदान में उतारा है।

दानापुर के बाद उन्होंने सहरसा में भी एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया और भाजपा प्रत्याशी डॉ. आलोक रंजन के लिए समर्थन जुटाया। योगी की लोकप्रियता बिहार में इस कदर है कि पार्टी के अधिकांश प्रत्याशी उनकी रैली अपने क्षेत्र में करवाना चाहते हैं। यहां तक कि एनडीए के अन्य घटक दलों के नेता भी योगी की रैली की मांग कर रहे हैं, खासकर उन सीटों पर, जहां मुकाबला बेहद कड़ा या त्रिकोणीय हो सकता है।

योगी आदित्यनाथ की छवि एक ईमानदार, कठोर प्रशासक और हिंदुत्व की मुखर आवाज के रूप में उभरी है। यूपी में उनके नेतृत्व में कानून-व्यवस्था से लेकर निवेश और बुनियादी ढांचे तक हर क्षेत्र में जो विकास हुआ है, उसी को आधार बनाकर वो बिहार की जनता को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका आक्रामक प्रचार अंदाज और स्पष्ट हिंदुत्व की बात करने का तरीका बिहार की पारंपरिक जातीय राजनीति को चुनौती देता दिख रहा है। एनडीए के कई नेताओं ने यहां तक कहा कि योगी आदित्यनाथ जातीय समीकरण को दरकिनार कर एकजुट हिंदू वोटबैंक तैयार करने की क्षमता रखते हैं। यही वजह है कि गया, आरा, बक्सर, छपरा, सीवान और गोपालगंज जैसे जिलों में उनकी कई रैलियां प्रस्तावित हैं।

दानापुर और सहरसा की रैलियों में योगी ने विपक्ष पर तीखे हमले किए। उन्होंने महागठबंधन पर फर्जी वोटिंग को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि बुर्के की आड़ में आरजेडी और कांग्रेस अवैध वोटिंग करवाना चाहती हैं। इसके साथ ही उन्होंने SIR यानी "संवैधानिक, Illegal और घुसपैठिए" मुद्दे को उठाकर महागठबंधन की नीतियों पर सवाल खड़े किए।

जाहिर है जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, बिहार का सियासी पारा और चढ़ता जा रहा है। योगी आदित्यनाथ की आक्रामक एंट्री ने चुनावी समर को और भी तीखा बना दिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि यूपी के ‘योगी मॉडल’ का जादू बिहार की जनता पर कितना असर दिखाता है, और क्या वो एनडीए की नैया पार लगाने में निर्णायक भूमिका निभा पाएंगे।

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.