बिहार चुनाव में कांग्रेस ने नई रणनीति अपनाई, बाहुबलियों को टिकट नहीं

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस इस बार कुछ बदली-बदली नजर आ रही है। जहां पहले पार्टी राजद के साथ पूरी तरह तालमेल बिठाती थी, वहीं इस बार मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव के नाम की घोषणा के लिए अंतिम समय तक इंतजार करने का संदेश दिया। इसके अलावा, पार्टी ने बाहुबलियों से दूरी बनाकर अपनी पुरानी छवि बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

चुनाव की तैयारियों के दौरान कांग्रेस ने कृष्णा अल्लावरु को बिहार प्रभारी नियुक्त कर यह संकेत दिया कि इस बार पार्टी कुछ अलग करने की योजना में है। बाहुबली नेताओं को टिकट नहीं देना और अपने पुराने नेताओं या उनके परिवार के सदस्यों को उम्मीदवार न बनाना इसका स्पष्ट उदाहरण है। हालांकि, गठबंधन में शामिल अन्य दलों के साथ कुछ मतभेद सामने आए, लेकिन पार्टी ने इसे संभालकर अपनी रणनीति को आगे बढ़ाया।

कांग्रेस की यह नई रणनीति केवल बाहुबलियों से दूरी बनाने तक सीमित नहीं है। पार्टी सीमांचल में मुसलमान वोट बैंक को जोड़ने और मिथिलांचल में अपने पुराने गढ़ को मजबूत करने की कोशिश में जुटी है। इसका उद्देश्य पुराने वोट बैंक को पुनः सक्रिय करना और युवा मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करना है।

विश्लेषकों का मानना है कि इस बार कांग्रेस की यह बदलती रणनीति उसके लिए निर्णायक साबित हो सकती है। बाहुबली राजनीति से दूरी और गठबंधन दलों के साथ संतुलन बनाए रखना पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण होने के साथ-साथ अवसर भी प्रस्तुत करता है। यदि कांग्रेस अपने पुराने वोट बैंक को मजबूत करने में सफल रही, तो वह बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

कुल मिलाकर, बिहार में इस बार कांग्रेस ने अपनी राजनीतिक छवि बदलने और आधुनिक रणनीति अपनाने का प्रयास किया है। बाहुबली विरोधी रुख, गठबंधन दलों के साथ संतुलन और युवा मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करना पार्टी की नई पहचान का हिस्सा बन गया है।

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