महिला वोटर का फैसला तय करेगा तेजस्वी या नीतीश का भविष्य

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महिला वोटरों की भूमिका चर्चा में है। तेजस्वी यादव लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर उनकी योजनाओं की नकल करने का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन अब सवाल उठता है कि जब बात जीविका दीदियों की हो, तो बिहार सरकार ने 1.21 करोड़ महिलाओं के खातों में 10 हजार रुपये भेजकर बड़ी पहल की है।
तेजस्वी यादव ने भी सत्ता में आने पर जीविका दीदियों को 30 हजार रुपये महीने की तनख्वाह और स्थाई नियुक्ति का वादा किया है। इसके अलावा, उन्होंने माई बहन मान योजना के तहत हर महिला को 2,500 रुपये प्रति माह देने, छात्राओं के लिए स्कॉलरशिप, विधवा और बुजुर्ग पेंशन जैसी योजनाओं की घोषणा की है। लेकिन वर्तमान में जीविका योजना को लेकर दोनों पक्षों के बीच कड़ा मुकाबला दिख रहा है।
बीजेपी के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने हाल ही में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना शुरू की है, जिसमें स्वरोजगार के लिए जीविका दीदियों को आर्थिक सहायता दी गई है। तेजस्वी यादव ने इसका विरोध करते हुए इसे रिश्वत बताया है और कहा कि उनकी सरकार बनने पर जीविका दीदियों को स्थाई नौकरी और अधिक वेतन मिलेगा। राजनीतिक पार्टियों ने महिला उम्मीदवारों को टिकट देकर भी महिला वोटरों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है। आरजेडी ने 143 सीटों में 24 महिलाओं को टिकट दिया है, जबकि एनडीए ने 243 सीटों पर 35 महिलाओं को मैदान में उतारा है। कांग्रेस और अन्य दलों ने भी महिलाओं को टिकट दिए हैं, लेकिन संख्या में आरजेडी सबसे आगे दिख रही है।
2020 के चुनाव में भी बिहार में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से अधिक था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की महिला वोटरों को ‘साइलेंट वोटर’ बताया है। नीतीश कुमार की महिलाओं पर केंद्रित योजनाएं जैसे बालिका साइकिल योजना, कन्या उत्थान योजना और कन्या विवाह योजना उन्हें महिला वोटरों के बीच लोकप्रिय बनाती हैं।
चुनावों में राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज है, खासकर महागठबंधन के नेता और पीएम मोदी की मां को लेकर हुई टिप्पणी पर विवाद के बाद। अब बिहार के हर बेटे-बेटी की निगाहें महिला वोटर के फैसले पर टिकी हैं कि आखिरकार बिहार की सत्ता पर किसका कब्ज़ा होगा, नीतीश कुमार का या तेजस्वी यादव का।
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