कांग्रेस-RJD में तकरार तेज, सीटों की राजनीति ने बढ़ाई दूरी

बिहार चुनाव 2025 की रणभेरी बज चुकी है। एक ओर जहां एनडीए ने सीटों के बंटवारे का ऐलान कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन के खेमे में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। जी हां सीट शेयरिंग को लेकर राजद और कांग्रेस के बीच सियासी रस्साकशी अब खुलकर सामने आ चुकी है। कांग्रेस अपनी पुरानी हैसियत और हालिया जनसभाओं की भीड़ को आधार बनाकर 60 सीटों की मांग पर अड़ी है, जबकि राजद उसे 55 से ज्यादा देने के मूड में नहीं है। राजद के मुताबिक, कांग्रेस का पिछला प्रदर्शन बेहद खराब रहा, ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में सीट देना सही नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि महागठबंधन में अगर कोई नया दल जुड़ता है, तो कुर्बानी हमेशा कांग्रेस ही क्यों दे? कांग्रेस को संख्या नहीं, जिताऊ गुणवत्ता वाली सीटें चाहिए।

आपको बता दें बैठकों के कई दौर नाकाम रहने के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव खुद दिल्ली पहुंचे। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली में मौजूद रहने के बावजूद राहुल ने तेजस्वी को मिलने का समय नहीं दिया। इसके बाद तेजस्वी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु से मुलाकात की। हालांकि, बैठक के बाद भी सीट शेयरिंग को लेकर कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। इसी दौरान तेजस्वी यादव को IRCTC घोटाले में कोर्ट से बड़ा झटका मिला। उन्हें आरोपी बनाया गया, जिससे कांग्रेस अब सख्त रुख अपनाए हुए है। कांग्रेस का कहना है कि पार्टी अब समझौते के मूड में नहीं है। राहुल गांधी की यात्राओं में उमड़ी भीड़ को देखते हुए कांग्रेस के रणनीतिकार मान रहे हैं कि पार्टी का जनाधार बढ़ा है और ऐसे में उसे सम्मानजनक सीटें मिलनी ही चाहिए। राहुल गांधी ने भी नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया है कि 60 सीटों की मांग पर डटे रहें, चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े। कांग्रेस ने अपने संभावित 76 उम्मीदवारों के नाम भी तय कर लिए हैं और जल्द ही टिकट वितरण की प्रक्रिया शुरू होने वाली है।

आपको बता दें राजद और कांग्रेस के बीच पिछले 5 दिनों से बातचीत बंद है। महागठबंधन में अब तक सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी है, लेकिन इस बीच लेफ्ट दलों ने अपने उम्मीदवारों के नाम तय करने और पर्चा भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सीपीआई के कई उम्मीदवारों ने मंगलवार को नामांकन दाखिल भी कर दिया है। महागठबंधन में सीटों के बंटवारे में एक और पेच मुकेश सहनी की VIP पार्टी ने डाल दिया है। पार्टी 30 सीटों की मांग कर रही है। खबर है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे एनडीए में वापसी भी कर सकते हैं। सहनी ने अपने सभी विकल्प खुले रखे हैं।
दरअसल, कांग्रेस और राजद के बीच खींचतान बैसी, बहादुरगंज, रानीगंज, कहलगांव और सहरसा जैसी सीटों को लेकर है। दोनों ही पार्टियां इन सीटों को अपना मजबूत गढ़ बताकर दावा ठोक रही हैं।

फिलहाल, जहां एनडीए चुनावी जंग के लिए तैयार है, वहीं महागठबंधन अभी भी कौन कितनी सीट लड़ेगा की उधेड़बुन में उलझा है। चुनाव नजदीक है, वक्त कम है और मतदाता अब जवाब चाहता है। नज़रें अब पटना और दिल्ली दोनों पर टिकी हैं कि क्या कांग्रेस और राजद मिलकर 2025 की जंग लड़ेंगे या सीटों की सियासत दोनों के रास्ते अलग कर देगी?
सवाल अब सिर्फ गठबंधन में कितनी सीटें किसे मिलेंगी का नहीं है, सवाल ये भी है कि क्या बिहार में RJD और कांग्रेस का साथ बरकरार रह पाएगा? या फिर राहुल गांधी की भीड़ और तेजस्वी यादव की लीडरशिप के बीच महागठबंधन कहीं बिखर तो नहीं जाएगा? अब देखना यह होगा कि बिहार में तेजस्वी का नेतृत्व और राहुल का भरोसा, एक ही छत के नीचे टिक पाते हैं या नहीं...क्योंकि सवाल सिर्फ सीटों का नहीं है, अस्तित्व का है और अगली सरकार के सपने का भी। 

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