महागठबंधन की राह साफ, तेजस्वी होंगे मुख्यमंत्री चेहरा, कांग्रेस ने किया ऐलान

बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सियासी सरगर्मी तेज़ हो गई है। महागठबंधन ने अपने मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में तेजस्वी यादव को घोषित कर दिया है, वहीं कांग्रेस ने भी इस घोषणा को पूरी मजबूती से समर्थन दिया है। साथ ही, महागठबंधन ने डिप्टी सीएम के रूप में मुकेश सहनी का नाम भी फाइनल किया है। यह बड़ा कदम कांग्रेस और आरजेडी के बीच महीनों चली असहमति और सीट बंटवारे की जद्दोजहद के बाद लिया गया है।
कांग्रेस लंबे समय से तेजस्वी यादव के नाम पर सहमति देने से कतराती रही, लेकिन 2024 के बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने पार्टी को नया सियासी उत्साह दिया। हालांकि सीटों के बंटवारे और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर महागठबंधन में मतभेदों ने माहौल को गर्मा दिया था। एनडीए के पूर्ण एकजुटता के बीच महागठबंधन में कांग्रेस और आरजेडी के बीच कई विवाद उभरे, जिससे कई सीटों पर आपसी टकराव की नौबत आ गई। ऐसी स्थिति में कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को बिहार भेजा, जिन्होंने लालू यादव और तेजस्वी यादव से मिलकर महागठबंधन के जटिल मसलों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई।
अशोक गहलोत ने महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा तेजस्वी यादव और डिप्टी सीएम चेहरा मुकेश सहनी घोषित किया। गहलोत ने साफ कहा कि अगर महागठबंधन सरकार बनती है, तो दूसरे समाजों को भी उपमुख्यमंत्री पद दिया जाएगा, ताकि सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिले। कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु समेत कई नेताओं ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को यह समझाने की कोशिश की कि तेजस्वी यादव के नाम पर चुनाव लड़ने से गैर यादव ओबीसी, दलित और सवर्ण वोटरों का समर्थन हासिल करना मुश्किल होगा। लेकिन सियासी समीकरणों को देखते हुए कांग्रेस ने आखिरकार तेजस्वी के नाम पर सहमति दी।
महागठबंधन में आरजेडी के साथ वामपंथी दल, माले, सीपीएम, सीपीआई, वीआईपी और आईपी गुप्ता की पार्टी शामिल हैं। इन दलों ने भी तेजस्वी और मुकेश सहनी के नाम को समर्थन दिया। कांग्रेस ने जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए चुनाव से ठीक पहले जाति आधारित रणनीति अपनाई है, जिससे वे 10,000 रुपये की कैश ट्रांसफर योजना का असर कम कर सकें।
तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने से यादव-मुस्लिम और अन्य पिछड़े वर्ग एकजुट होंगे, जो 2020 में महागठबंधन के लिए निर्णायक साबित होगा। साथ ही, डिप्टी सीएम के रूप में मुकेश सहनी को आगे करके मल्लाह और अन्य पिछड़े वर्गों को साधने की रणनीति भी तैयार की गई है। इस बार महागठबंधन 32 प्रतिशत वोट बैंक के साथ चुनाव मैदान में उतर रहा है, जिसमें यादव 14 प्रतिशत, मुस्लिम 18 प्रतिशत और मल्लाह सहित अति पिछड़े वर्ग को भी मजबूती से जोड़ा गया है।
इस प्रकार, बिहार की सियासत में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर महागठबंधन ने एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। कांग्रेस के साथ मतभेदों को दूर कर गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश की गई है, ताकि एनडीए की चुनौती का सामना बेहतर तरीके से किया जा सके। अब देखना होगा कि बिहार की जनता इस रणनीति को कैसे स्वीकारती है और क्या महागठबंधन 2025 के विधानसभा चुनावों में सत्ता की वापसी कर पाता है। राजनीति का यह खेल अभी जारी है और हर मोड़ पर नए बदलाव देखने को मिलेंगे।
No Previous Comments found.