बिहार की 10 अहम सीटों पर सियासी जंग तेज, जातीय समीकरण, नए चेहरे आमने-सामने

PRAKHAR SHUKLA

1- वैशाली ( हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र)

बिहार की ये सीट काफी सुर्खियों में है | 2020 में यहाँ से जेडीयू उम्मीदवार सिद्धार्थ पटेल ने कांग्रेस प्रत्याशी संजीव सिंह को हराया था |इस बार RJD से अजय कुमार कुशवाहा और JDU से सिद्धार्थ पटेल पुनः मैदान में हैं |ऐतिहासिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से यह सीट काफी महत्वपूर्ण है |पार्टियां जातीय समीकरण के आधार पर चुनाव लड़ रही हैं , इस  इलाके में यादव, कुर्मी, ब्राह्मण, एससी ( 20.47 फीसदी) और मुस्लिम वोटर ( 20.47 फीसदी) सम्मिलित हैं |१९६७ में इस सीट के गठन के बाद १६ बार चुनाव हो चुके हैं शुरूआती दिनों में कांग्रेस की पकड़ यहाँ मजबूत रही है , मगर दो दशकों से जेडीयू ने यहां लगातार पांच बार जीत दर्ज की है| वैशाली ही वह भूमि है जिसने विश्व को पहली बार लोकतंत्र का पाठ  पढ़ाया ,और भगवान् बुद्ध ने पहली बार यहाँ गीता का उपदेश भी दिया था |

2- अलीनगर (दरभंगा लोकसभा क्षेत्र )

प्रसिद्ध लोकगायिका मैथिली ठाकुर को BJP से टिकट मिलने के बाद यह सीट काफी चर्चा में है |2020 में यहाँ से विकासशील इंसान पार्टी जो की NDA गठबंधन के साथ मिश्री लाल यादव यहाँ से जीतते हैं| मगर पुराने मारपीट के मामले में अदालत ने उन्हें 2 साल की जेल की सजा सुना दी है |यहाँ ब्राह्मण और ठाकुर वोटरों की संख्या अधिक है ऐसे में BJP के लिए एक नया चेहरा जो की ब्राह्मण हो या ठाकुर की जरुरत थी, तो उन्होंने मैथिलि ठाकुर के ऊपर दांव लगाया है | मैथिली बिहार के मधुबनी जिले से सम्बन्ध रखती हैं यही इनका जन्मस्थान भी है  ,उन्होंने बेनीपट्टी से चुनाव लड़ने के बारे में कहा मगर BJP ने पहले  ही उम्मीदवार की घोषणा कर दी थी तो उन्हें अलीनगर से टिकट दिया गया | उनके टिकट मिलने से बीजेपी में आतंरिक कलह हो रही है , जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला वो खासा नाराज है ,और किसी बाहरी  को टिकट देने का भरपूर विरोध कर रहे हैं |हालाँकि अमित शाह ने मुलाकात कर सबको मना लिया है|मैथिली  ठाकुर का चुनाव जीतना इसलिए कठिन बन जाता है |यदि RJD ने यादव कार्ड खेलकर कुछ वोट काटे तो जीतने में और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है|    

3-मोकामा (मोकामा लोकसभा क्षेत्र )

राजधानी पटना से महज 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह क्षेत्र काफी सुर्खियों में है | यहाँ JDU नेता और RJD सूरजभान सिंह की पत्नी नेत्री वीणा देवी के बीच सीधी टक्कर है | हाल ही में हुए जनसुराज पार्टी के प्रत्याशी पियूष प्रियदर्शी के समर्थकों और जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह के समर्थकों के बीच हुई झड़प में दलित नेता दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या हो गई ,जिसका इल्जाम अनंत सिंह के समर्थकों पे लगाया गया | इसी बीच कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रखने का फैसला सुनाया | 2015 में भी वो जेल से चुनाव लड़कर जीते थे इस बार फिर से वो जेल से चुनाव लड़ रहे हैं |  सन 2000 से अनंत सिंह लगातार पांच बार विधायक है ,मोकामा की जनता के मन में अनंत सिंह के लिए भरपूर प्यार है ,और वो उन्हें छोटे सरकार व बाहुबली कहकर बुलाती है |गंगा नदी के किनारे बसा ये गाँव काफी उपजाऊ है , मगर भूमि समतल नहीं है जिसके कारण किसान बहुत मेहनत से फसल उगाते हैं , सन 2000 से पहले  उन्हें डाकू लूट ले जाते थे , जिसके बचाव में अनंत  सिंह आगे आये और उन्होंने  रक्षक गिरोह बनाया और डाकुओं से फसल को बचाया | यही कारण है की वहां की जनता उन्हें पसंद करती है|विधायक बनने के बाद उन्होंने जनता की मूलभूत सुविधा को मुहैया कराया |

4- तारापुर (मुंगेर लोकसभा क्षेत्र  )

बिहार चुनाव 2025 में मुंगेर की तारापुर विधानसभा सीट काफी सुर्खियाँ बटोर रही  है। बीजेपी से वर्तमान उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और आरजेडी से अरुण साव के बीच सीधी टक्कर है। वहीं बिंद समाज के सकलदेव बिंद ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। 25 हजार से अधिक बिंद वोटर इस सीट का फैसला बदल सकते है|  30 अक्टूबर को एक जनसभा में सम्राट चौधरी के पक्ष में अमित शाह ने जोरदार प्रचार किया और कहा- आप सम्राट चौधरी को जिताइये मोदी जी इन्हें बड़ा आदमी बनाएँगे | इस बयान से सम्राट चौधरी के सीएम बनने की जोरदार कवायद की जा रही है, तो ऐसे में क्या नितीश कुमार का पत्ता कट जायेगा ? दरअसल नितीश का  राजनीतिक और व्यक्तिगत स्वास्थ्य अब ठीक नहीं रहता, और काफी उम्रदराज भी हैं ,वो 4 बार से मुख्यमंत्री पद संभाले हुए हैं | अब पार्टी को नए चेहरे की तलाश है ,फिल्हाल पार्टी ने ऐसे बयानों पे जोर नहीं दिया और नितीश के ही सीएम बनने की बात कही है| 

5- राघोपुर (हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र )

लालू के लाल तेज प्रताप यादव इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं | पारिवारिक कलह ककी वजह से अलग हुए तेज इस बार अपने पिता की सीट से चुनाव लड़ रहे हैं | दोनों भाई एक दुसरे को ललकार रहे हैं |तेज प्रताप यादव को माँ राबड़ी देवी का आशीर्वाद है और बहन मीसा भारती और रोहिणी का भी समर्थन है, तेजस्वी के पास केवल पार्टी की कमान और पिता का साथ है |  राघोपुर हाजीपुर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है और यहाँ से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास पासवान ) के बेटे केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान सांसद हैं |तेजस्वी यादव जनता के बीच जाकर हॉस्पिटल और कॉलेज खोलने के वायदे कर रहे हैं, और बोलते हैं - आप एक विधायक नहीं मुख्यमंत्री चुनने जा रहे हैं |
6- रघुनाथपुर ( सिवान लोकसभा क्षेत्र  ) 

बिहार के सिवान से २० किलो मीटर की दूरी पर स्थित इस सीट से राजद अध्यक्ष तेजस्वी यादव चुनावी मैदान हैं |यह इलाका घाघरा नदी की जलोढ़ समभूमि से घिरा है, जहाँ कृषि आज भी आजीविका का  एक प्रमुख जरिया है |लगातार इस सीट से दो बार से चुनाव जीत रहे हैं तेजस्वी ,तीसरी बार भी वे जनता से खुद  पे भरोसे की पूरी उम्मीद लगाये हैं |  उनका कहना है की हमे पढाई , दवाई,कमी, सिंचाई , सुनवाई वाली सरकार चाहिये |तेजस्वी कहते हैं की उनका संकल्प है की हर घर में एक सरकारी नौकरी हो |हमे केवल सरकार  नहीं बनानी है हमे बिहार बनाना है|

7-समस्तीपुर ( बिहार विधानसभा क्रमांक -133 ) 

बिहार के इस जिले से इस बार 108  प्रत्याशी मैदान में हैं | इस बार यहाँ से अश्वमेध देवी( जदयू), अख्तरुल इस्लाम शाहीन (राजद), मनोज कुमार सिंह (जनसुराज) के बीच सीधी टक्कर है | इस सीट की स्थापना 1957  में हुई तब से यहाँ 16 बार चुनाव हो चुके हैं , जिसमे कांग्रेस ने तीन बार, जेडीयू और आरजेडी ने दो बार , संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ,जनता पार्टी , जनता दाल ने दो बार , और लोक दल ने एक बार यहाँ से सीट हासिल की है| इस विधानसभा में अनुसूचित जाति  ( 18.63 %),मुस्लिम (16.2%), ग्रामीण क्षेत्र के मतदाता (80 %) वोटर्स हैं | लगातार तीन बार से अपनी नाकाम कोशिश जेडीयू कर रही आरजेडी को हारने की , अब देखना ये है  इस  बार इसका फायदा कौन उठाता है, बीजेपी या लोक जनशक्ति पार्टी ?    

8- बक्सर ( वि०क्रं० - 197)

बिहार के बक्सर जिले की यह सीट अत्यंत महत्वपूर्ण है | पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा को बीजेपी ने मैदान में उतारा  है , जनसुराज पार्टी से तथागत हर्ष वर्धन , बसपा से अभिमन्यु मौर्या को टिकट मिला है | ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाये तो यहाँ पर  दो बड़े युद्ध  जा चुके हैं , बक्सर का और चौसा का जिसमे मुग़ल सम्राट शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को परास्त किया था | वही बक्सर के युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बनारस नरेश राजा बलवंत सिंह , बंगाल के नवाब मीर कासिम , अवध के नवाब शुजा उद दौला और आलम द्वितीय से लड़ा था इस सीट से कांग्रेस ने 10 बार जीत हासिल की,  और पिछले दस चुनाव में भाजपा ने तीन बार जीत हासिल की | बक्सर में महिला और पुरुष साक्षरता दर में भारी अंतर है लगभग 11 प्रतिशत से ज्यादा, यह एक चिंताजनक विषय है | यहाँ पे अनुसूचित जाति14.38 प्रतिशत), मुस्लिम (7.3 प्रतिशत ),  ग्रामीण मतदाता (71.92 प्रतिशत), और (28.08 प्रतिशत ) मतदाता शहरी क्षेत्रों में रहते हैं| 

9- मुजफ्फरपुर ( वि०क्रं- 94 )

बिहार की यह सीट स्वतंत्रता संग्राम और राजनीति की दृष्टि से बहुत अहम् भूमिका निभाती है| यहाँ किसी एक पार्टी का दबदबा कायम नहीं रहा ,यहाँ से कांग्रेस ने  6  बार ,बीजेपी और सीपीआई ने दो दो बार जीत हासिल की | भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में यहाँ खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर लिया गया था एक बहुचर्चित मुजफ्फरपुर षड़यंत्र काण्ड  के तहत , क्यूंकि उन्होंने कलकत्ता के मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट डगलस किंग्सफोर्ड की गाड़ी  पे हमला किया था परन्तु वो बच गए थे | इस लोकसभा सीट में छह विधानसभाऐं शामिल हैं, जिनमें से मुजफ्फरपुर प्रमुख है|  यह मूल्यतः शहरी क्षेत्र है, जहां 88 प्रतिशत से अधिक शहरी वोटर्स हैं. यह उत्तर बिहार का सबसे बड़ा शहर भी है, यही कारण है की मुजफ्फरपुर को व्यावसायिक राजधानी का भी दर्जा प्राप्त है|  बीजेपी के आनंद कुमार , जन सुराज पार्टी के एके दास के बीच यहाँ सीधी टक्कर देखी  जा सकती है|  

10- सहरसा (वि०क्रं० -75)

सहरसा बिहार के कोसी डिवीज़न का एक हिस्सा है | सहरसा तीन प्रमुख नदियों से घिरा हुआ है कोसी , बागमती , और गंडक | सहरसा माधोपुरा लोकसभा सीट के अंतर्गत आता, मिथिला क्षेत्र का एक हिस्सा है | इसी जिले में ही इसका मुख्यालय है | इस  शहर का पूर्वी भाग कोसी नदी से घिरा है जिसे "बिहार का शोक" भी कहा जाता है | हर साल बागमती नदी अपने तटबंध को तोड़कर 21000 वर्ग किलोमीटर की किसानों की उपजाऊ भूमि को नष्ट कर देती है| यहाँ किशोर कुमार जन सुराज पार्टी से ,अलोक रंजन बीजेपी से और अजब लाल मेहता को बसपा से ,टिकट मिला है | यह क्षेत्र मछली और मखाना से बहुतायत है| यह पूर्व मुख्यमंत्री और पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल का जन्मस्थल है | यह जगह प्राचीनकाल से ही आदि शंकराचार्य और  मंडन मिश्र के बीच शास्त्रार्थ के लिए प्रसिद्द था | इस विधानसभा में मुस्लिम (14.6%) ,अनुसूचित जाति (12.05%), ग्रामीण मतदाता (69.46%), और शहरी मतदाता (30.54%) हैं | 

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