चाय की खेती पर 2.47 लाख तक की सब्सिडी, जानिए कैसे मिलेगा फायदा

भारत में चाय सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि लोगों की दिन की शुरुआत का हिस्सा बन चुकी है। देश में सबसे ज़्यादा चाय की खपत होती है और बड़े स्तर पर इसका उत्पादन भी किया जाता है। अब तक असम, त्रिपुरा, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्य इस क्षेत्र में आगे रहे हैं, लेकिन अब बिहार भी इस दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है।
बिहार सरकार की खास योजना: चाय विकास योजना
बिहार सरकार ने किसानों को चाय की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से "चाय विकास योजना" शुरू की है। इस योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ 2.47 लाख तक की सब्सिडी दी जा रही है।
सब्सिडी की सीमा क्या है?
किसान अधिकतम 4 हेक्टेयर तक की भूमि के लिए यह लाभ ले सकते हैं।
सरकार ने चाय की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 4.94 लाख की यूनिट लागत तय की है।
न्यूनतम 0.1 हेक्टेयर की खेती करने वाले किसान भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
कैसे मिलेगा यह लाभ?
यह सब्सिडी दो किस्तों में दी जाएगी —
पहली किस्त चाय के पौधों के रोपण के समय
दूसरी किस्त पौधों के रखरखाव और विकास के लिए
यह भुगतान 75:25 के अनुपात में किया जाएगा।
किस जिलों के किसान उठा सकते हैं फायदा?
इस योजना का लाभ बिहार के कुछ खास जिलों के किसानों को ही मिलेगा:
पूर्णिया
अररिया
किशनगंज
सुपौल
कटिहार
आवेदन कैसे करें?
किसान बिहार उद्यान निदेशालय की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
वेबसाइट पर "आवेदन करें" का लिंक मिलेगा।
वहाँ मांगी गई सभी जानकारी भरकर फॉर्म जमा करें।
यह योजना न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ा सकती है, बल्कि बिहार को भी चाय उत्पादक राज्यों की सूची में शामिल कर सकती है।
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