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उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग का कुशासन - लोग परेशान

पूरे साल मेंटेनेंस के बाद भी इस गर्मी में बिजली ने रुलाना शुरू कर दिया है. यूपी के कई शहरों में लोग बिजली कटौती से त्रस्त हैं. उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन का दावा है कि मांग के अनुसार बिजली आपूर्ति की जा रही है. उपभोक्ताओं को भरपूर बिजली मिल रही है. वहीं हकीकत ये है कि बिजली संकट से प्रदेश भर में त्राहि-त्राहि मची हुई है.
पावर कारपोरेशन का तहसील स्तर से जिला मुख्यालय तक बिजली आपूर्ति का रोस्टर फर्जी साबित हो रहा है. ईटीवी भारत ने प्रदेश के कई जिलों में बिजली आपूर्ति के दावों का रियलिटी चेक किया. दावे पूरी तरह से हवा हवाई साबित हुए. ग्रामीण अंचल से लेकर शहरी इलाकों के उपभोक्ता बिजली कटौती से पस्त हैं. उन्हें गर्मी में डिमांड के मुताबिक बिजली नहीं मिल रही है.
बिजली कटौती पर जिम्मेदार अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, कहते हैं इस पर जवाब देने के लिए वह अधिकृत नहीं हैं. वहीं ऊर्जा मंत्री भी इस पर बोलने से बच रहे हैं.

18 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा करने वाले ऊर्जा विभाग की तरफ से बमुश्किल आठ से 12 घंटे ही बिजली आपूर्ति की जा रही है. 18 घंटे सप्लाई वाले इलाकों में महज 12 घंटे, 21.30 घंटे बिजली सप्लाई वाले क्षेत्रों में 14 से 16 घंटे और 24 घंटे बिजली सप्लाई वाले क्षेत्रों में 18 से 20 घंटे ही बिजली मिल रही है.

उसमें भी कई बार बिना किसी कारण के बिजली गुल हो जाती है. कोई तकनीकी खराबी होने पर कई घंटे बिजली नहीं आती है. कस्बों व शहरी इलाकों में ट्रिपिंग और ओवरलोडिंग की स्थिति यह है कि दिन में इसकी गिनती कर पाना मुश्किल है. ट्रांसफॉर्मर फुंकने की स्थिति की बात की जाए तो घटिया क्वालिटी के ट्रांसफार्मर हर रोज दगा दे रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में ट्रांसफार्मर फुंकने का आंकड़ा हर रोज 500 के करीब पहुंच रहा है. पिछले साल 900 ट्रांसफार्मर फुंकने का प्रतिदिन का आंकड़ा था. हालांकि अभी गर्मी और बढ़नी है. लिहाजा, ट्रांसफार्मर फुंकने की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी जिससे उपभोक्ताओं को और भी ज्यादा बिजली संकट झेलने के लिए तैयार रहना होगा. लाइन में फॉल्ट जैसी समस्याएं भी लोगों के लिए परेशानी खड़ा कर रही हैं.

बिजली कटौती को लेकर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन हमेशा की तरह उन्होंने फोन उठाने की जहमत नहीं उठाई. इसके बाद पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार को फोन किया गया. लेकिन उन्होंने मामले में अपना पक्ष देने से इनकार कर दिया.

पंकज कुमार ने कहा, इसके लिए आप हमारे विभाग के पीआरओ से संपर्क कर सकते हैं. पीआरओ अखिलेश सिंह 'केके' ने कहा कि अध्यक्ष और एमडी का पक्ष देने के लिए वह अधिकृत नहीं हैं. इसके लिए आप ऊर्जा मंत्री से संपर्क करिए या फिर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के एमडी से बात करिए.

इसके बाद मध्यांचल की एमडी से संपर्क स्थापित करने के लिए जनसंपर्क अधिकारी शालिनी यादव को फोन किया गया, लेकिन उन्होंने भी फोन नहीं रिसीव किया. ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा से भी कांटेक्ट करने का पूरा प्रयास किया गया, लेकिन जनसुनवाई में व्यस्त होने के चलते और इस मामले पर अभी कुछ न कहने की बात उनके स्टाफ की तरफ से बताई गई. कहा गया कि जब समय होगा तब आधिकारिक पक्ष जारी कर दिया जाएगा.

लो वोल्टेज की स्थिति ऐसी है कि बल्ब दीये की तरह जलता है. कूलर और एसी शोपीस बने हुए हैं. प्रदेश के तमाम इलाकों के उपभोक्ता लो वोल्टेज की समस्या से बुरी तरह परेशान हैं. कम क्षमता का ट्रांसफार्मर होने के चलते सही वोल्टेज नहीं मिलता. जिससे बिजली आने और जाने का कोई मतलब ही नहीं होता है. तमाम उपभोक्ता हर रोज बिजली विभाग से लो वोल्टेज की समस्या की शिकायत कर रहे हैं.

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