हिंदू धर्म में शुभ कार्यों में क्यों नहीं पहने जाते काले कपड़े?

हिंदू धर्म में पूजा और शुभ कार्यों के दौरान काला कपड़ा नहीं पहनने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण है.हिंदू धर्म के अनुसार काला रंग को अशुभ और दुर्भाग्य का प्रतीक माना जाता है, इसलिए पूजा के दौरान इसे पहनने से बचना चाहिए .इसके अलावा, पूजा में शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखा जाता है, और काला कपड़ा अशुद्धता का प्रतीक है.पूजा के दौरान उजले और हल्के रंगों के कपड़े पहनने से सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है, जबकि काला कपड़ा नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है. यह नियम पारंपरिक रूप से चलता आया है और पीढ़ियों से इसका पालन किया जाता है.

इन रंगों के कपड़े करे धारण
पूजा के दौरान पहनने के लिए शुभ और सकारात्मक रंगों के कपड़े चुनना महत्वपूर्ण है. शुभ रंगों में पीला, लाल, गुलाबी, हल्का हरा, हल्का नीला और क्रीम शामिल हैं. ये रंग शुद्धता, पवित्रता, प्रेम, शांति और शक्ति का प्रतीक हैं. पीला रंग भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण का पसंदीदा रंग है. लाल रंग देवी दुर्गा और शक्ति का प्रतीक है, और गुलाबी रंग प्रेम और शांति का प्रतीक है.हल्का हरा रंग प्रकृति और जीवन का प्रतीक है, जबकि हल्का नीला रंग भगवान शिव और शांति का प्रतीक है.पूजा के दौरान कपड़ों का चयन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, जैसे कपड़े आरामदायक और शालीन हों, और कपड़ों पर कोई अश्लील या हिंसक चित्र न हों.इसके अलावा, पूजा के अनुसार उपयुक्त रंग का चयन करना भी महत्वपूर्ण है.

यह भी है मान्यता
ऐसा माना जाता है कि काले रंग के कपड़े पहनने वाले लोग नकारात्मकता से भरे हुए होते हैं.एक धारणा यह भी है कि, काले रंग को आमतौर पर शोक से जोड़कर देखा जाता है. वहीं, ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से काले रंग को राहु और शनि का रंग माना जाता है. ऐसे में जो व्यक्ति अधिकतर काले रंग के कपड़े धारण करता है, उसे जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

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