सावधान! उबला हुआ पानी भी हो सकता है खतरनाक

हम में से कई लोगों को यह सलाह दी जाती है कि "पानी को उबालकर पीना चाहिए, इससे सभी बैक्टीरिया मर जाते हैं।" यह बात काफी हद तक सही है, लेकिन पूरी तरह से नहीं। आइए जानते हैं इस धारणा के पीछे की सच्चाई—यह मिथक है या सच?
क्या उबालने से बैक्टीरिया मर जाते हैं?
सच:
जब पानी को कम से कम 1 मिनट तक अच्छी तरह उबाला जाता है (और समुद्र तल से ऊँचाई पर रहने वाले लोग इसे 3 मिनट तक उबालें), तो अधिकांश हानिकारक सूक्ष्मजीव — जैसे कि बैक्टीरिया, वायरस, और प्रोटोजोआ — मर जाते हैं। उबालने की प्रक्रिया तापमान को 100°C तक पहुंचाती है, जो कि अधिकांश रोगजनकों के लिए घातक है।
क्या उबालने से पानी 100% सुरक्षित हो जाता है?
आधा सच, आधा मिथक:
उबालने से रासायनिक प्रदूषक, जैसे कि आर्सेनिक, नाइट्रेट्स, लेड (सीसा), और पेस्टिसाइड्स नहीं हटते।
अगर पानी में हेवी मेटल्स या टॉक्सिक केमिकल्स मौजूद हैं, तो उबालने से उनका असर खत्म नहीं होता।
कुछ बैक्टीरियल स्पोर्स (जैसे Clostridium botulinum) को मारने के लिए उबालना पर्याप्त नहीं होता, लेकिन ये आम तौर पर पीने के पानी में नहीं पाए जाते।
किन हालातों में पानी उबालना सबसे बेहतर विकल्प है?
बाढ़, तूफान या प्राकृतिक आपदा के बाद, जब पानी की आपूर्ति संदिग्ध हो।
यात्रा के दौरान, जब साफ पानी उपलब्ध न हो।
गांव या दूरदराज के इलाकों में, जहां फिल्ट्रेशन सिस्टम नहीं होते।
क्या करना चाहिए? (सुझाव)
पानी को कम से कम 1 मिनट तक उबालें, और उसे ढक कर ठंडा करें।
यदि पानी में गंदगी या सस्पेंडेड कण हैं, तो उसे छानकर उबालें।
अगर शक हो कि पानी में केमिकल्स हो सकते हैं, तो आरओ फिल्टर, एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर या यूवी सिस्टम का उपयोग करें।
"पानी उबालने से सभी बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं" — यह एक हद तक सच है, लेकिन यह मान लेना कि उबला हुआ पानी हर तरह से 100% सुरक्षित है, मिथक है। बैक्टीरिया और वायरस से सुरक्षा मिलती है, लेकिन केमिकल्स और हेवी मेटल्स से नहीं।
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