आंतों में ऐसे फैलता है कैंसर, लक्षणों को पहचान तुरंत करें बचाव, वरना....

आंतों में कैंसर, जिसे कॉलन या कोलोरैक्टल कैंसर भी कहा जाता है, तब फैलता है जब आंतों की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि और विभाजन होता है। यह कैंसर मुख्य रूप से दो प्रमुख क्षेत्रों में होता है: कोलन (बड़ी आंत) और रेक्टम (गुदा)। यह कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और इसके फैलने की प्रक्रिया बहुत ही जटिल हो सकती है।

आंतों में कैंसर फैलने के कारण:

जेनेटिक कारण (आनुवंशिक कारक): यदि किसी व्यक्ति के परिवार में पहले से आंतों का कैंसर रहा है, तो उस व्यक्ति में भी आंतों का कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। कुछ विशेष आनुवंशिक सिंड्रोम जैसे "फैमिलियल एडीमेटस पोलिपोसिस" और "लिंच सिंड्रोम" भी इस कैंसर के विकास में योगदान कर सकते हैं।

उम्र: 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में आंतों का कैंसर होने का जोखिम अधिक होता है।

खानपान (डाइट): अधिक वसा, रेड मीट (लाल मांस), और प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन आंतों के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। फाइबर की कमी, जो फल, सब्जियाँ, और साबुत अनाज में पाई जाती है, भी एक कारण हो सकता है।

स्मोकिंग और शराब: तंबाकू का सेवन और अधिक शराब पीने से भी कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

शारीरिक गतिविधि की कमी: नियमित शारीरिक गतिविधि का अभाव भी आंतों के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।

सूजन वाली आंतों की बीमारियाँ: क्रॉनिक सूजन जैसे "क्रॉनिक आंतों की बीमारी" (Crohn's disease) या "अल्सरेटिव कोलाइटिस" से पीड़ित व्यक्ति को आंतों के कैंसर का अधिक खतरा हो सकता है।

वजन: अधिक वजन या मोटापा आंतों के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, विशेषकर महिलाओं में।

आंतों के कैंसर से बचाव:

स्वस्थ आहार: फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, और फाइबर से भरपूर आहार का सेवन करें। रेड मीट और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें।

नियमित व्यायाम: शारीरिक गतिविधि को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं, जैसे रोजाना चलना, दौड़ना, योग या किसी खेल में भाग लेना।

समय पर जांच: 50 वर्ष के बाद कोलोनoscopy जैसे जांच करवाना महत्वपूर्ण होता है। अगर परिवार में किसी को आंतों का कैंसर हुआ है, तो डॉक्टर से चर्चा करके जल्दी जांच करवाएं।

स्मोकिंग और शराब से बचाव: तंबाकू और अत्यधिक शराब के सेवन से बचें।

वजन नियंत्रण: शरीर का वजन सामान्य बनाए रखें, खासकर पेट के आसपास अतिरिक्त वसा से बचें।

आंतों के कैंसर का जल्द पता चलने पर इलाज और बचाव की संभावना अधिक होती है, इसलिए नियमित जांच और जीवनशैली में सुधार बहुत महत्वपूर्ण हैं।

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