ऐसे करें काजू की खेती...

अगर आप भी काजू की खेती करने का सोच रहें हैं तो आज का ये कृषि आर्टिकल जरुर पढ़ें...

ड्राई फ्रूट की बढ़ती मांग से किसानों का रूझान अब इस ओर होने लगा है. कई किसान ड्राई फ्रूट जैसे- काजू, बादाम, अखरोट, किशमिश, पिस्ता की खेती करके लाखों की कमाई कर रहे हैं. त्योहारों में ड्राई फू्रड की मांग काफी अधिक रहती है. अधिकतर लोग त्योहार में बाजार की मिठाई की जगह अपने नाते-रिश्तेदारों को उपहार स्वरूप ड्राई ड्राई फ्रूट ही देना अधिक पसंद करते हैं. देश में काजू का आयात निर्यात का एक बड़ा व्यापार भी है. देश के कई राज्यों में इसकी खेती की जाती है. तो चलिए जानते हैं कैसे करें काजू की खेती....

काजू का पौधा..
काजू का पेड़ तेजी से बढऩे वाला उष्णकटिबंधीय पेड़ है जो काजू और काजू का बीज पैदा करता है. काजू की उत्पत्ति ब्राजील से हुई है. किंतु आजकल इसकी खेती दुनिया के अधिकांश देशों में की जाती है. सामान्य तौर पर काजू का पेड़ 13 से 14 मीटर तक बढ़ता है. हालांकि काजू की बौनी कल्टीवर प्रजाति जो 6 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है, जल्दी तैयार होने और ज्यादा उपज देने की वजह से बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है.काजू के पौधारोपण के तीन साल बाद फूल आने लगते हैं और उसके दो महीने के भीतर पककर तैयार हो जाता है। बगीचे का बेहतर प्रबंधन और ज्यादा पैदावार देनेवाले प्रकार (कल्टीवर्स) का चयन व्यावसायिक उत्पादकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है.

मिट्टी का सही चुनाव..
वैसे तो काजू की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन समुद्र तटीय प्रभाव वाली लाल एवं लेटराइट मिट्टी वाले क्षेत्र इसकी खेती के लिए ज्यादा उपयुक्त रहते हैं. इसके साथ ही मिट्टी का पीएच स्तर 8.0 तक होना चाहिए। काजू उगाने के लिए खनिजों से समृद्ध शुद्ध रेतीली मिट्टी को भी चुना जा सकता है.

काजू की खेती करने का सही समय..
काजू एक उष्ण कटिबन्धीय फसल है जो गर्म एवं उष्ण जलवायु में अच्छी पैदावार देता है। 700 मी. ऊंचाई वाले क्षेत्र जहां पर तापमान 20 सें.ग्रे. से ऊपर रहता है. काजू की अच्छी उपज होती है. 600-4500 मि.मी. वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र के लिए अच्छे माने जाते हैं. इसके लिए पाला और नुकसान दायक होता है. इसलिए इसकी फसल को पाले से बचना जरूरी होता है। जिन क्षेत्रों में पाला या लंबे समय तक सर्दी पड़ती है वहां इसकी खेती प्रभावित होती है. 

पौधे की छटाई..
काजू के पौधों को प्रारंभिक अवस्था में अच्छा आकार देने की जरूरत होती है. इसके लिए इसकी समय-समय पर छटाई करते रहना चाहिए. पौधो को अच्छा आकार देने के बाद सूखी, रोग एवं कीट ग्रसित तथा कैंची शाखाओं को काटते रहना चाहिए.

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