70 कर्मचारियों की छंटनी के बाद CEO ने किया ऐसा काम, लोग बोले- ‘बॉस हो तो ऐसा!’

आज के समय में कंपनियों में छंटनी (Layoffs) कोई नई बात नहीं रही। बड़े से बड़े संस्थान आर्थिक संकट या रणनीतिक बदलाव के कारण अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रहे हैं। लेकिन बेंगलुरु स्थित एक कंपनी के सीईओ ने छंटनी के बाद जो किया, वह कॉर्पोरेट वर्ल्ड में मिसाल बन गया।

‘ओके क्रेडिट’ (OkCredit) के सीईओ हर्ष पोखरना ने अपनी कंपनी से 70 कर्मचारियों की छंटनी की, लेकिन उन्होंने इसे सिर्फ एक प्रक्रिया बनाकर नहीं छोड़ा। उन्होंने सुनिश्चित किया कि जिन कर्मचारियों को कंपनी से हटाया गया, उन्हें नई नौकरी दिलाने में मदद मिले। उनकी इस पहल की सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है।

छंटनी की मजबूरी, लेकिन कर्मचारियों की चिंता भी

हर्ष पोखरना ने लिंक्डइन पोस्ट के जरिए बताया कि 18 महीने पहले कंपनी को आर्थिक कारणों से कर्मचारियों की संख्या कम करनी पड़ी। उन्होंने स्वीकार किया कि कंपनी ने तेजी से भर्ती की थी, जिससे खर्च बढ़ गया और फिर छंटनी का फैसला लेना पड़ा।

हालांकि, हर्ष ने इस कठिन निर्णय को संवेदनशील तरीके से लागू किया। उन्होंने कहा,

"बतौर फाउंडर, यह मेरे लिए सबसे मुश्किल फैसलों में से एक था, लेकिन हमने इसे अच्छे से संभालने की पूरी कोशिश की।"

कर्मचारियों की मदद के लिए CEO ने उठाए ये कदम

हर्ष पोखरना और उनकी टीम ने सुनिश्चित किया कि छंटनी के बावजूद कर्मचारियों को नए अवसर मिलें और वे आर्थिक रूप से सुरक्षित रहें। इसके लिए उन्होंने कई उपाय किए—

स्पष्ट संवाद: कंपनी ने हर कर्मचारी को पूरी पारदर्शिता के साथ बताया कि यह फैसला क्यों लिया गया।
समय दिया: सभी कर्मचारियों को तीन महीने का नोटिस दिया गया, ताकि वे आसानी से नई नौकरी तलाश सकें।
नई नौकरियों की व्यवस्था: कंपनी ने अपने नेटवर्क के जरिए कर्मचारियों को दूसरी कंपनियों में प्लेसमेंट दिलाने में मदद की।
अतिरिक्त वित्तीय सहायता: जिन कर्मचारियों को नई नौकरी नहीं मिल पाई, उन्हें दो महीने की अतिरिक्त सैलरी दी गई ताकि वे इस कठिन समय को बिना आर्थिक दबाव के पार कर सकें।

सोशल मीडिया पर CEO की जमकर तारीफ

हर्ष पोखरना का यह कदम सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। उनके पोस्ट को कई बड़े उद्योगपतियों और प्रोफेशनल्स ने सराहा।

एक यूजर ने लिखा, “सीईओ हो तो ऐसा, जो कर्मचारियों का भविष्य भी देखे।”

दूसरे यूजर ने कहा, “अगर हर कंपनी ऐसे फैसले लेने लगे तो प्राइवेट जॉब वालों को नौकरी जाने का डर नहीं रहेगा।”

एक अन्य टिप्पणी में लिखा गया, “छंटनी होना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन इसे जिस तरह से हैंडल किया गया, वह काबिले तारीफ है।”


नई पीढ़ी के नेतृत्व की मिसाल

हर्ष पोखरना ने यह साबित कर दिया कि छंटनी सिर्फ एक बिजनेस निर्णय नहीं, बल्कि एक मानवीय विषय भी है। उन्होंने कर्मचारियों को सिर्फ नौकरी से नहीं निकाला, बल्कि उनके भविष्य की भी चिंता की।

उनका यह दृष्टिकोण हर सीईओ के लिए एक मिसाल है कि छंटनी को भी सहानुभूति और ईमानदारी से संभाला जा सकता है। आखिर में, सफलता सिर्फ मुनाफे से नहीं, बल्कि लोगों की भलाई से भी मापी जाती है।

 

 

 

 

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