सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस में राहत देंगे ये 5 योगासन

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस (Cervical Spondylitis) एक आम लेकिन बेहद तकलीफदेह स्थिति है, जिसमें गर्दन की हड्डियों (cervical vertebrae) और आसपास के ऊतकों में सूजन और जकड़न आ जाती है। इससे गर्दन में दर्द, सिरदर्द, कंधों में अकड़न और हाथों में झनझनाहट जैसी समस्याएं हो सकती हैं। लगातार कंप्यूटर पर काम करने, गलत मुद्रा में सोने या बैठने और शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण यह समस्या और भी बढ़ जाती है।
हालांकि योग के कुछ विशेष आसन नियमित रूप से करने से इस समस्या में काफी हद तक राहत मिल सकती है। आइए जानते हैं ऐसे कुछ योगासनों के बारे में:
1. मार्जरी आसन (Cat-Cow Pose)
यह आसन गर्दन और रीढ़ की लचीलापन बढ़ाने में मदद करता है।
कैसे करें: घुटनों और हाथों के बल आ जाएं। श्वास लेते हुए कमर को नीचे और सिर को ऊपर करें (Cow Pose)। श्वास छोड़ते हुए कमर को ऊपर और ठुड्डी को छाती से लगाएं (Cat Pose)।
लाभ: गर्दन और रीढ़ की हड्डी में जकड़न को कम करता है।
2. भुजंगासन (Cobra Pose)
रीढ़ और गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत करने वाला आसन।
कैसे करें: पेट के बल लेटें, हथेलियों को कंधों के पास रखें और धीरे-धीरे ऊपर की ओर धड़ उठाएं।
लाभ: रीढ़ की लचीलापन बढ़ती है, गर्दन में खिंचाव और दर्द कम होता है।
3. शवासन (Corpse Pose)
तनाव और थकान को दूर करने वाला आसान लेकिन प्रभावी आसन।
कैसे करें: पीठ के बल सीधे लेट जाएं, आंखें बंद करें, और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें।
लाभ: मानसिक शांति मिलती है और दर्द से राहत मिलती है।
4. वज्रासन में गर्दन अभ्यास (Neck Movements in Vajrasana)
गर्दन को चारों दिशाओं में घुमाने से रक्तसंचार बेहतर होता है।
कैसे करें: वज्रासन में बैठें और धीरे-धीरे गर्दन को आगे-पीछे, दाएं-बाएं, और गोल घुमाएं।
लाभ: गर्दन की जकड़न और अकड़न को कम करता है।
5. ताड़ासन (Palm Tree Pose)
यह आसन रीढ़ की सीध में खिंचाव लाकर उसे मजबूत करता है।
कैसे करें: सीधे खड़े हों, हाथों को ऊपर उठाएं और पंजों के बल खड़े होकर शरीर को ऊपर की ओर खींचें।
लाभ: गर्दन, कंधे और रीढ़ को राहत मिलती है।
सावधानियां:
कोई भी योगासन करने से पहले डॉक्टर या योग विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
जबर्दस्ती खिंचाव न करें। धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।
दर्द अधिक होने पर तुरंत योग रोकें।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस में योग एक प्राकृतिक और कारगर उपाय हो सकता है, बशर्ते इसे सही तरीके और नियमितता के साथ किया जाए। ये योगासन न केवल दर्द को कम करने में सहायक हैं, बल्कि गर्दन और रीढ़ की लचीलापन बढ़ाकर दीर्घकालिक राहत भी दे सकते हैं। साथ ही, जीवनशैली में सुधार और सही मुद्रा अपनाना भी बेहद जरूरी है।
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