छठ पर्व का विशेष प्रसाद और पारंपरिक व्यंजन: सात्विकता और श्रद्धा का संगम

छठ पर्व, भारतीय संस्कृति का एक अनमोल उत्सव, अपने सात्विक प्रसाद और पारंपरिक व्यंजनों के लिए खास पहचाना जाता है। चार दिवसीय इस पर्व में नहाय-खाय से लेकर पारण तक, हर दिन के पकवान और प्रसाद में आस्था, श्रम और शुद्धता का गहरा संगम देखने को मिलता है।

छठ व्रत: शारीरिक और मानसिक तैयारी

छठ की चार दिवसीय साधना में ग्रहण किया जाने वाला आहार व व्यंजन व्रती की शारीरिक और मानसिक तैयारी का अभिन्न हिस्सा हैं। इन व्यंजनों को तैयार करना बाहर से सरल लगता है, लेकिन इसमें श्रम, आस्था और शुचिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पारंपरिक रूप से आटा, चावल आदि को घर पर धोकर, सुखाकर और पीसकर प्रसाद तैयार किया जाता था। हालांकि आधुनिक समय में यह परंपरा कुछ हद तक बदल गई है, और लोग आस-पास की आटा-चक्की से आटा पिसवाते हैं। साथ ही, कम मात्रा में प्रसाद बनाने के लिए घर पर मिक्सी का भी उपयोग किया जाता है।

हर दिन का विशेष व्यंजन

छठ पर्व के चार दिनों में हर दिन के प्रसाद और व्यंजन में अलग स्वाद और महत्व होता है:

पहला दिन – नहाय-खाय: इस दिन लौकी-चने की दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का सेवन परंपरा के अनुसार किया जाता है।

दूसरा दिन – खरना: इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। शाम को गुड़ की खीर, रोटी और पूरी प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती है।

तीसरा दिन – छठ पूजा की तैयारी: परिवार के सदस्य मिलकर छठ के प्रसाद तैयार करते हैं। इस प्रक्रिया में लोकगीतों की मधुर धुन के साथ ठेकुआ, मोटे गेहूं के आटे व गुड़ से बने पकवान, मेवे, देसी घी के लड्डू, गुझिया (बिहार में पिरुकिया के नाम से प्रसिद्ध) और कसार जैसे व्यंजन शामिल होते हैं।

खरना का खास प्रसाद – रसिया

खरना के प्रसाद में रसिया विशेष महत्व रखता है। इसे गुड़ की खीर भी कहा जाता है। सामान्य खीर से अलग, यह खीर गुड़ की कैरेमल जैसी मिठास से समृद्ध होती है। इसे मिट्टी के चूल्हे पर धीमी आंच पर पकाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी विशेष बनता है। तैयारी की विधि में चावल को 15-20 मिनट पानी में भिगोकर, दूध में उबालकर नरम होने तक पकाया जाता है। बाद में गुड़ के पानी को हल्का ठंडा खीर में मिलाया जाता है।

पारण – व्रती और परिवार के लिए विशेष व्यंजन

छठ के अंतिम दिन सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती पारण करते हैं। इस अवसर पर तैयार किए जाने वाले व्यंजन परिवार के सभी सदस्यों के लिए खास होते हैं। इनमें टमाटर-हरा चना की सब्जी, कढ़ी-बाटी, कोहड़ा की सब्जी, लाल साग, पकौड़े आदि शामिल होते हैं। व्रती और परिवार के लोग मिलकर इन व्यंजनों का आनंद लेते हैं। तड़के ही रसोई में तैयार होने वाले पारण के व्यंजनों की महक छठ पर्व के समापन का संकेत देती है, लेकिन अगले वर्ष के छठ का उत्साह भी जगाती है।

 

छठ पूजा का प्रसाद और व्यंजन केवल भोजन नहीं, बल्कि आस्था, श्रम, संस्कृति और लोकजीवन का अद्भुत मिश्रण हैं। नहाय-खाय से लेकर पारण तक तैयार होने वाले पकवान छठ के चार दिनों को एक यादगार अनुभव बनाते हैं और इस पर्व की सात्विकता को और भी गहरा करते हैं।

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