पिता का श्राद्धकर्म छोड़ सीमा पर डटा वीर पुत्र, अब शहीद बीएसएफ जवान अमित सिंह पर रोया चौपारण

चौपारण- प्रखंड के झापा पंचायत अंतर्गत कोल्हुआ गांव का माहौल सोमवार को शोक और गर्व से भर गया। गांव का जांबाज सपूत बीएसएफ जवान अमित सिंह अब तिरंगे में लिपटकर अपने घर लौटा। जैसे ही पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, पूरा इलाका “भारत माता की जय” और “अमित सिंह अमर रहें” के नारों से गूंज उठा। हर आंख नम थी और हर हृदय गर्व से भरा हुआ। अमित सिंह की दिल्ली में डेंगू के इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। वे अपने कर्तव्य को सर्वोपरि मानने वाले सच्चे सैनिक थे। बताया जाता है कि जब उनके पिता का श्राद्धकर्म चल रहा था, उसी समय सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए उन्होंने अपने घर लौटने के बजाय सीमा की रक्षा को चुना। उन्होंने अपने कर्तव्य और राष्ट्रप्रेम की मिसाल पेश करते हुए दिखाया कि देशभक्ति शब्दों से नहीं, कर्मों से साबित होती है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था, उस समय भी अमित सिंह सीमा पर डटे रहे थे।गांव में जब उनका पार्थिव शरीर पहुंचा, तो हजारों की संख्या में ग्रामीण अपने वीर सपूत के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े। चतरा मोड़ पर डीएसपी अजीत कुमार विमल और चौपारण थाना प्रभारी सरोज सिंह चौधरी ने जवान को सलामी दिए और श्रद्धांजलि अर्पित की। पूरा माहौल गम और गर्व से भरा था। लोग अपने वीर बेटे के बलिदान पर रो रहे थे, लेकिन साथ ही गर्व से सिर भी ऊंचा था।पूर्व विधायक उमाशंकर अकेला और जिला परिषद सदस्य रवि शंकर अकेला ने शव यात्रा में शामिल होकर श्रद्धांजलि दी। रवि शंकर अकेला ने तिरंगा झंडे के साथ शहीद को पुष्प अर्पित किया, जबकि उमाशंकर अकेला ने कंधा देकर कहा, “अमित सिंह जैसे सपूत पर पूरा झारखंड गर्व करता है। उन्होंने यह दिखाया कि सच्चा सैनिक अपने कर्तव्य से कभी पीछे नहीं हटता।अंतिम संस्कार के दौरान का दृश्य अत्यंत भावुक था। शहीद अमित सिंह के बेटे ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। यह पल पूरे गांव को रुला गया। चारों ओर सिर्फ एक ही आवाज गूंज रही थी अमित सिंह अमर रहें”। अंतिम संस्कार के समय बीएसएफ के जवानों ने अपने साथी को सलामी दी और गार्ड ऑफ ऑनर प्रस्तुत किया। पूरे क्षेत्र में मातम और गर्व का मिला जुला माहौल देखने को मिला।ग्रामीणों ने कहा कि अमित सिंह ने अपने कर्म से साबित किया कि एक सच्चा सिपाही केवल परिवार का नहीं, बल्कि पूरे देश का बेटा होता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने शहीद को नमन किया। बच्चे तिरंगा लेकर “जय जवान” के नारे लगा रहे थे।गांव के लोगों ने बताया कि तीन दिनों से पूरे गांव में चूल्हा नहीं जला था। हर कोई अपने वीर सपूत की प्रतीक्षा में था। जैसे ही पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, मातम की चीखें गूंज उठीं। लेकिन साथ ही लोगों ने यह भी कहा कि अमित सिंह का जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।शहीद बीएसएफ जवान अमित सिंह ने दिखा दिया कि सच्ची देशभक्ति किसी अवसर की नहीं, बल्कि त्याग की पहचान होती है। उनका बलिदान हमेशा याद किया जाएगा देश उनका ऋणी रहेगा। अमित सिंह अमर रहें!

 

 चौपारण - मुकेश सिंह चौपारण 

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