च्यवनप्राश: प्राचीन आयुर्वेदिक विरासत जो हर भारतीय जीवन में ऊर्जा, इम्युनिटी और एंटी-एजिंग का संपूर्ण सूत्र है

च्यवनप्राश: आयुर्वेद का कालजयी रसायन, बीमारियों से बचाव और सेहत का मजबूत आधार

च्यवनप्राश भारतीय संस्कृति और चिकित्सा परंपरा में सदियों से उपयोग किया जाने वाला एक प्राचीन आयुर्वेदिक सप्लीमेंट है, जिसे सर्दी-खांसी, कमजोर इम्युनिटी और श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए रामबाण माना जाता है। विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर च्यवनप्राश शरीर के वात, पित्त और कफ—तीनों दोषों को संतुलित रखता है। इसकी खासियत है कि यह न सिर्फ इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, बल्कि स्टैमिना, स्फूर्ति और ऊर्जा को भी बढ़ाता है। वैज्ञानिक शोध पर आधारित डाबर च्यवनप्राश में आंवला और 40 से अधिक जड़ी-बूटियों का संयोजन इसे और अधिक प्रभावी बनाता है।

आज सर्दी-खांसी, कमजोर प्रतिरक्षा और सांस से जुड़ी समस्याएं सिर्फ किसी एक आयु वर्ग तक सीमित नहीं रहीं। प्रदूषण, मौसम में बदलाव और असंतुलित जीवनशैली के कारण बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी प्रभावित हैं। ऐसे में च्यवनप्राश एक संपूर्ण और विश्वसनीय विकल्प बनकर उभरता है, जो शरीर को प्राकृतिक रूप से पोषण देता है। सर्दियों में जब श्वसन रोग और थकान बढ़ जाती है, यह सप्लीमेंट ऊर्जा का संचार करता है और बढ़ती उम्र के प्रभावों को धीमा करने में भी मदद करता है।

प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी च्यवनप्राश की महिमा का उल्लेख मिलता है। चरक संहिता इसे सर्वश्रेष्ठ रसायन मानती है, जो खांसी, अस्थमा और सांस संबंधी रोगों को दूर करने में लाभकारी है। यह शरीर के कमजोर होते टिश्यू को पोषण देता है और एंटी-एजिंग प्रभाव प्रदान करता है। इसे आयुर्वेद के वैद्य “एजलेस वंडर” कहते हैं क्योंकि यह हर उम्र में शक्ति और स्फूर्ति को बनाए रखने में सहायक है।

आयुर्वेद के अनुसार, च्यवनप्राश वात, पित्त और कफ तीनों को संतुलित करके शरीर की बायोएनर्जी को नियंत्रित करता है। जड़ी-बूटियों का आयुर्वेदिक और आधुनिक विज्ञान के साथ मिश्रित उपयोग डाबर च्यवनप्राश को एक संतुलित और प्रभावी फॉर्मूला बनाता है। इसमें मौजूद आंवला, गैलिक एसिड, पॉलीफेनोल्स और अन्य फेनोलिक कंपाउंड्स एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर हैं, जो शरीर को पुनर्जीवित करने और रोगों से रक्षा करने में मदद करते हैं।

च्यवनप्राश इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में विशेष रूप से प्रभावी है। यह IgG और IgM जैसे महत्वपूर्ण एंटीबॉडीज को बढ़ाता है और IgE को कम करता है, जिससे एलर्जी और हिस्टामाइन रिलीज में कमी आती है। एक स्टडी में पाया गया कि डाबर च्यवनप्राश के प्री-ट्रीटमेंट से एलर्जी, प्लाज्मा हिस्टामाइन और IgE लेवल में उल्लेखनीय कमी आई, जो इसकी एंटी-एलर्जिक क्षमता का प्रमाण है।

डाबर च्यवनप्राश आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान का बेहतरीन संतुलन है। इसे तैयार करने में कई फाइटोन्यूट्रिएंट्स—जैसे गैलिक एसिड, फ्लेवोनॉयड्स, एल्कलॉइड्स, पिपेरिन, आंवले के टैनिन के साथ-साथ 40+ जड़ी-बूटियां, गाय का घी, तिल का तेल और खुशबूदार बोटैनिकल पाउडर जैसे इलायची, पीपली, नागकेसर, दालचीनी, तमालपत्र आदि का उपयोग किया जाता है। यह संयोजन इसे संपूर्ण, सुरक्षित और प्रभावी रोजाना सेवन किए जाने वाला हेल्थ सप्लीमेंट बनाता है, जो हर भारतीय परिवार का हिस्सा है।

 

 

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