छठ पूजा क्यों मनाई जाती हैं ? , जाने

छठ पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार हैं, जो भगवान सूर्य और उनकी पत्नी उषा को समर्पित हैं. यह पूजा मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, और झारखंड में मनाई जाती हैं. छठ पूजा के पीछे की कथा यह हैं कि भगवान सूर्य और उषा के पुत्र यम को मृत्यु का देवता बनाया गया था, लेकिन यम की मृत्यु की शक्ति से लोगों को बहुत परेशानी होती थी. तब भगवान सूर्य और उषा ने अपने पुत्र यम को वरदान दिया कि वे हर साल छठ पूजा के दौरान लोगों की प्रार्थना सुनेंगे और उनकी मनोकामनाएं पूरी करेंगे इसलिए हर वर्ष छठ का पर्व मनाया जाता हैं.

छठ पूजा महत्व 
छठ पूजा के उद्देश्य भगवान सूर्य और उषा को धन्यवाद देने, सूर्य की ऊर्जा और प्रकाश की महत्ता को समझने, अपने परिवार और समाज के लिए सुख और समृद्धि की कामना करने, और भगवान सूर्य की कृपा से रोग और शोक से मुक्ति पाने के लिए हैं. छठ पूजा चार दिनों तक चलती हैं, जिसमें पहले दिन घर की सफाई और पूजा की तैयारी, दूसरे दिन खरना या लोहंडा का दिन, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य का दिन, और चौथे दिन उषा अर्घ्य का दिन होता हैं.छठ पूजा का महत्व यह हैं कि यह पूजा लोगों को भगवान सूर्य और उषा के प्रति कृतज्ञता और सम्मान की भावना को बढ़ावा देती हैं, और लोगों को अपने जीवन में सूर्य की ऊर्जा और प्रकाश की महत्ता को समझने का अवसर प्रदान करती हैं. इसके अलावा, यह पूजा लोगों को अपने परिवार और समाज के लिए सुख और समृद्धि की कामना करने का अवसर प्रदान करती हैं.

प्रियंवद और मालिनी की कहानी 
पुराणों के अनुसार, राजा प्रियंवद नामक राजा हुआ करते थे जिनकी कोई संतान नहीं थी. तब महर्षि कश्यप ने पुत्र प्राप्ति के लिए राजा के यहां यज्ञ का आयोजन किया. महर्षि ने यज्ञ आहुति के लिए बनाई गई गई खीर को प्रियंवद की पत्नी मालिनी को खाने के लिए कहा. खीर के प्रभाव से रजा और रानी को पुत्र तो हुआ किन्तु वह मृत था. प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे. उसी समय भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं.उन्होंने राजा से कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं. माता ने राजा को अपने पूजन का आदेश दिया और दूसरों को भी यह पूजन करने के लिए प्रेरित करने को कहा है . 

छठ पूजा की तैयारी:
छठ पूजा से पहले, घर की सफाई और पूजा की तैयारी की जाती हैं. घर को साफ-सुथरा बनाया जाता हैं और पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि फूल, फल, और मिठाइयाँ इकट्ठा की जाती हैं.

1.पहला दिन - नहाय-खाय:

छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय के नाम से जाना जाता हैं. इस दिन, लोग स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं. इसके बाद, वे घर में ही भोजन बनाते हैं और भगवान सूर्य को भोग लगाते हैं.

2.दूसरा दिन - खरना या लोहंडा:

दूसरे दिन, खरना या लोहंडा का दिन होता हैं . इस दिन, लोग व्रत रखते हैं और भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इसके बाद, भगवान सूर्य को भोग लगाते हैं और वे रात में ही भोजन करते हैं 

3.तीसरा दिन - संध्या अर्घ्य:

तीसरे दिन, संध्या अर्घ्य का दिन होता हैं. इस दिन, लोग भगवान सूर्य को संध्या समय अर्घ्य देते हैं. इसके बाद, वे भगवान सूर्य को भोग लगाते हैं और पूजा करते हैं.

4.चौथा दिन - उषा अर्घ्य:

चौथे दिन, उषा अर्घ्य का दिन होता हैं. इस दिन, लोग भगवान सूर्य को उषा समय अर्घ्य देते हैं. इसके बाद, वे भगवान सूर्य को भोग लगाते हैं और पूजा करते हैं. इसके साथ ही, छठ पूजा का समापन होता हैं.

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