एस्टीमेट को किया दरकिनार, 36 लाख की सीसी रोड में भारी घोटाला

सारंगढ़ : नगर पालिका क्षेत्र में विकास कार्यों की रफ्तार तो तेज़ है, लेकिन गुणवत्ता की गाड़ी पटरी से उतर चुकी है। इन दिनों शहर की गलियों-मुहल्लों में सीसी रोड और नाली निर्माण का कार्य ज़ोर-शोर से चल रहा है, लेकिन जिन सड़कों पर करोड़ों की लागत खर्च की जा रही है, उनकी नींव ही सड़ी हुई है।
वार्ड क्रमांक 09 भारत माता चौक से नेगी तालाब तक लगभग 36 लाख रुपए की लागत से बनाई जा रही सीसी रोड का निर्माण कार्य पूरी तरह से एस्टीमेट के विपरीत हो रहा है। स्थानीय नागरिकों ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं और बताया कि उपयंत्री की अनुपस्थिति का फायदा उठाकर ठेकेदार ने अपनी मनमर्जी से सड़क निर्माण कराया है, जिससे सड़क की गुणवत्ता पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
एस्टीमेट में 6 इंच, पर डाली गई 4 इंच की सड़क
नियमों के अनुसार, नपा उपयंत्री द्वारा बनाए गए एस्टीमेट में सीसी रोड की ऊंचाई 0.15 सेमी (यानी 6 इंच) निर्धारित की गई थी, ताकि सड़क पर हल्के और भारी वाहनों के दबाव को सहा जा सके और सड़क जल्द न उखड़े। लेकिन ठेकेदार ने उपयंत्री की गैर मौजूदगी में यह ऊंचाई घटाकर महज 10 सेमी (4 इंच) कर दी, जिससे सड़क की मजबूती और उम्र दोनों पर सवाल खड़े हो गए हैं।
गुणवत्ताहीन कार्य: न बेस, न खुदाई, न घनत्व
सड़क निर्माण में जो तकनीकी प्रक्रियाएं अनिवार्य होती हैं, उन्हें भी पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया है। न तो मोटर ग्रेडर की मदद से समतलीकरण किया गया, न ही ओएमसी (ऑप्टिमम मॉइश्चर कंटेंट) के अनुसार पानी डालकर कंपन पावर रोलर से रोलिंग की गई। निचली सतह (सब-बेस) के लिए ग्रेडिंग-3 की दानेदार सामग्री भी नहीं डाली गई। मिट्टी फ्लेम प्रक्रिया, जो सड़क की मजबूती का आधार होती है, उसे भी पूरी तरह टाल दिया गया।
मिलीभगत का खेल: ठेकेदार और उपयंत्री की जोड़ी सवालों के घेरे में
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सब कुछ ठेकेदार और उपयंत्री की मिलीभगत से किया जा रहा है। उपयंत्री की अनुपस्थिति केवल संयोग नहीं बल्कि साजिश का हिस्सा प्रतीत हो रही है। निर्माण स्थल पर न तो कोई निरीक्षण हो रहा है, न ही कोई निगरानी। परिणामस्वरूप, 36 लाख रुपये की लागत से बन रही सीसी रोड बनने से पहले ही टूटने के कगार पर है।
नागरिकों ने जताई नाराजगी, कार्रवाई की मांग
स्थानीय रहवासियों ने इस घटिया निर्माण पर गहरी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कलेक्टर से तत्काल जांच कराने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। नागरिकों का कहना है कि सार्वजनिक धन की इस बर्बादी को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सवालों के घेरे में नगर पालिका की कार्यप्रणाली
इस प्रकरण ने नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब करोड़ों की योजनाओं में इस तरह की लापरवाही और मनमानी होती है, तो अन्य कार्यों में भी गड़बड़ी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
निष्कर्ष:– एक बार फिर यह साबित हो रहा है कि सरकारी निर्माण कार्यों में “कम लागत – कम गुणवत्ता” का फॉर्मूला पूरी ताकत से लागू किया जा रहा है। अगर प्रशासन ने समय रहते सख्त कदम नहीं उठाया, तो यह सड़क नहीं बल्कि भ्रष्टाचार की मजबूत पगडंडी बन जाएगी।
जनता पूछ रही है – क्या यही है विकास? या फिर बजट में कटौती कर जेबें भरने का नया तरीका?
रिपोर्टर : सुनील जोल्हे
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