जब पतरापाली की छत चीखी, तो शुरू हुई अफसरों की दौड़

घरघोड़ा (रायगढ़) : पतरापाली शासकीय प्राथमिक विद्यालय की भयावह स्थिति पर उठी पत्रकारिता की कलम आखिरकार असर कर गई। जिस छत के नीचे शिक्षा नहीं, बल्कि आशंका पल रही थी — वह अब केवल ग्रामवासियों की चिंता नहीं रही। अब वह शासन की चेतना बन चुकी है।

C News Bharat द्वारा इस मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित किए जाने के बाद मामला जिला प्रशासन तक पहुँचा। कलेक्टर की तीव्र प्रतिक्रिया और स्पष्ट फटकार के बाद, शिक्षा विभाग सहित प्रशासनिक अमला पतरापाली की ओर भागा-भागा पहुँचा। जिनमें प्रमुख रूप से — ▪ जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ▪ विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) ▪ जनपद CEO ▪ RES के SDO शामिल रहे।

इन अधिकारियों ने मौके पर पहुँचकर विद्यालय की जर्जर स्थिति का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया — वह भयावहता देखी जो अब तक केवल शिकायतों और फोटो में सिमटी थी।

प्रशासन जागा, पर सवाल अब भी जाग्रत हैं—
* क्या हर गाँव को यूँ ही किसी हादसे की दहलीज़ तक पहुँचना होगा, तब जाकर निर्णय होंगे?
* क्या "स्कूल चले हम" का नारा केवल शहरी बोर्डों तक सीमित रहेगा, और ग्रामीण भारत केवल झूठे विकास का पोस्टर बना रहेगा?

पत्रकारिता का उत्तरदायित्व यहीं सिद्ध होता है— जब स्याही जनचेतना की मशाल बन जाए और एक रिपोर्ट — न केवल ख़बर, बल्कि क्रांति का बीज बन जाए।

अब पतरापाली स्कूल की छत नहीं, अनदेखी की दीवारें गिरने लगी हैं --
परंतु यह केवल आरंभ है — जब तक हर बच्चा सुरक्षित छत और सम्मानपूर्ण शिक्षा नहीं पाता, तब तक पत्रकार की कलम और समाज की चेतना दोनों को जागृत रहना होगा।

रिपोर्टर : सुनील जोल्हे

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