हर भारतीय नागरिक के लिए 26 नवंबर संविधान दिवस बेहद गर्व का दिन है :- डॉ ए पी गोस्वामी

सक्ति : शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़ से सम्बद्ध अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय महाविद्यालय नगरदा जिला सक्ती में दिनांक 26 नवंबर को संविधान दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ ए पी गोस्वामी एवं समस्त स्टाफ को सामूहिक रूप से डॉ भीम राव अम्बेडकर जी के छायाचित्र पर पूजा एवं फूल अर्पण के लिए आमंत्रित किया गया। तत्पश्चात महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलवाया गया। जिसमे महाविद्यालय के समस्त स्टाफ और विद्यार्थियों शामिल हुए। डॉ अरविंद कुमार जगदेव ने अपने संबोधन में 26 नवंबर को संविधान दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 1949 में भारत के संविधान को अपनाया गया था, और यह दिन हमें हमारे संवैधानिक मूल्यों व डॉ अम्बेडकर के योगदान की याद दिलाता है।डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसंबर 1956) को आधुनिक भारत का सबसे महान संविधान-निर्माता, सामाजिक न्याय का प्रतीक और दलित-शोषित वर्गों का मसीहा माना जाता है। उनके योगदान को मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है।भारतीय संविधान के जनक  संविधान सभा में प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे।संविधान के लगभग हर महत्वपूर्ण प्रावधान में उनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष योगदान था।उन्होंने 2 साल 11 महीने 18 दिन में संविधान का अंतिम प्रारूप तैयार करवाया। संविधान सभा में उनके कुल लगभग 120 भाषण हुए, जो सबसे अधिक हैं। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ ए पी गोस्वामी ने अपने संबोधन आज 26 नवंबर का दिन हमारे लिए केवल एक तारीख नहीं, बल्कि उस महान दस्तावेज की स्मृति है जिसने हमें एक स्वतंत्र, संप्रभु, लोकतांत्रिक और गणराज्य बनाया। आज हम संविधान दिवस मना रहे हैं – उस दिन की याद में जब सन् 1949 में हमारे संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकृत किया था। आज से ठीक 76 वर्ष पहले, 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के सभापति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के सामने डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने संविधान का अंतिम प्रारूप प्रस्तुत किया और सभा ने इसे औपचारिक रूप से अपनाया। 60 साल की गुलामी के बाद यह वह ऐतिहासिक क्षण था जब हमने अपने भाग्य का फैसला खुद अपने हाथ में लेने का संकल्प लिया। डॉ अमित कुमार तिवारी ने अपने संबोधन में मौलिक अधिकार हमें गरिमा और स्वतंत्रता देते हैं, तो मूल कर्तव्य हमें जिम्मेदार नागरिक बनाते हैं। बाबासाहेब अम्बेडकर ने कहा था “हमने राजनीतिक लोकतंत्र तो स्थापित कर लिया, अब हमें सामाजिक लोकतंत्र स्थापित करना है। यह तभी संभव है जब हम अपने अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का भी पालन करें। आइए, हम सब संकल्प लें कि हम न केवल अधिकार माँगने वाले, बल्कि कर्तव्य निभाने वाले जागरूक नागरिक बनेंगे। तभी हम सच्चे अर्थों में संविधान के प्रति अपनी श्रद्धांजलि दे सकेंगे। रासेयो के कार्यक्रम अधिकारी प्रो मुन्ना सिदार कार्यक्रम संचालन के दौरान संविधान दिवस पर सभी विद्यार्थियों को अपने अधिकार और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहते हुए अपने आसपास लोगो को भी इसके बारे में जागरूकता प्रचार प्रसार करना है कहके विद्यार्थियों को प्रेरित किया।हमारा संविधान हमें दो अनमोल उपहार देता है – मौलिक अधिकार और मूल कर्तव्य । ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। अधिकार हमें स्वतंत्रता और गरिमा देते हैं, तो कर्तव्य हमें यह याद दिलाते हैं कि स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी भी आती है। महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापकों और अतिथि व्याख्यातो ने भी संविधान दिवस पर अपने अपने विचार रखे । कार्यक्रम में संविधान प्रश्न क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 50 विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में उपस्थित महाविद्यालय के स्टाफगणों प्रो आशीष दुबे अतिथि व्याख्यातो में डॉ जीवन खूंटे,कुसमिला,संत राम पटेल, श्रीमती सुनीता कसेर, डॉ लवली तिवारी गौराहा ,बबीता मेरावी मनोज राठौर ,विवेक अग्रवाल, जुगल किशोर उरांव, दूजे राम चौहान ,आनंदकुमार, रामावतार ,जयप्रकाश रासेयो के स्वयंसेवको में नागेश्वर, गंगा प्रसाद, मुकेश, कुसुमलता, सीमा, खिलेश्वर ,पंकज, नेहा, निकिता, अनुराग, वर्षा ,भूमिका ,लक्ष्मी रुक्मणि संध्या प्रियंका सूर्यवंशी भारती संजना ललिता,किरण, सानिया, शालिनी, डॉली, हरनारायण ,तुलसी ,मनीष इत्यादि उपस्थित रहे।

रिपोर्टर : उमेश कुमार साहू

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