उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई, मरीजों से हो रही खुलेआम अभद्रता
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का कठिन संकल्प लेकर काम कर रहे है पर अफसरशाही की लापरवाही और संवेदनहीनता योगी सरकार की मंशा में खुलेआम पलीता लगाते नज़र आ रहे हैं और अफसरशाही की मनमानी से उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है . चाहे झाँसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कालेज में लगी आग का मामला हो जिसमे दर्जन भर से ज्यादा नवजात अपनी जिन्दगी की भेंट इस भ्रष्टबी और लापरवाह सिस्टम को चढ़ाकर अपनी माताओं की गोद सूनी करके इस दुनिया से रूखसत हो गए थे . उसके बाद जांच और कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति करके किसी को हटाने किसी को निलंबित करने का पुरानी परंपरा की पुनरावृति कर दी गयी .
ये तो रहा मामला बुंदेलखंड के एक जिले झाँसी का पर दो दिन पुराना मामला तो राजधानी लखनऊ के लोकबन्धु हॉस्पिटल का है जहाँ रात 10 बजे आग लग जाती है और आनन फानन में 200 मरीजो को बाहर निकालकर राजधानी के अन्य सरकारी अस्पतालों में भेज दिया गया. लोकबन्धु में आग लगने का कारण शार्टसर्किट बताया जा रहा है पर शार्टसर्किट के बाद भी आग को फैलने से रोका जा सकता था पर सूत्र ये बताते हैं कि न वहां फ़ायरअलार्म बजा, ना फायर पाइप से पानी निकला और न ही जगह जगह लगे फायर एक्सटिंग्विशर काम आये अगर आये होते तो आग को फैलने से रोका जा सकता था वो तो भला हो अग्निशमन दलों के निर्भीक अधिकारियोंका जिनके द्वारा आग को बुझाते हुए बहुतों की जानबचाई गयी वरना अस्पताल प्रशासन की फायर सेफ्टी के नाम के इंतजामो से झाँसी से भी बड़ी घटना हो सकती थी क्योंकि 200 मरीजो में महिलायें बुजुर्ग और बच्चे तीनो भर्ती थे पर यहाँ केवल एक ही बुजुर्ग की मौत इस अग्निकांड के कारण हो गयी
तो ये हैं हालात उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के जहां खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश के स्वास्थ्य एवं उपमुख्यमंत्री मंत्री बृजेश पाठक खुद रहते हैं ... अब थोडा आपको और सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं से रूबरू करा दूं कि उस लखनऊ के सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है...ताजा मामला आज यानि बुधवार का लखनऊ के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल का है जहाँ मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है...और मरीजों के तीमारदारों से की जा रही है... जहां मरीजों की स्वास्थ्य समस्याओं को अनदेखा किया जा रहा, अनुभवी डॉक्टरों की जगह प्रैक्टिस कर रहे नए स्टूडेंट को मरीजों की जांच करने के लिए बैठाया जा रहा है, सवाल है कि क्या आम जनता का जीवन इतना सस्ता है कि नए-नए स्टूडेंट मरीजों के स्वास्थ्य पर अध्ययन कर रहे हैं...इतना ही नहीं मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों से इनके द्वारा अभद्रता की जा रही है...घंटो लाइन में लगने के बावजूद मरीजों का सही से इलाज नहीं किया जा रहा है...आम तो आम, पत्रकारों के साथ तक अभद्रता हो रही है...ऐसा ही एक मामला आज सामने आया जहां एक महिला पत्रकार और उसकी मरीज मां से डॉक्टरों द्वारा काफी अभद्रता की गई...महिला पत्रकार का कहना था कि वो अपनी मां को दिखने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के ऑर्थोपेडिक्स विभाग ले गई थी जहां प्रैक्टिस कर रहे नए स्टूडेंट मरीजों को देख रहे थे और सीनियर डॉक्टर अपनी कुर्सी से नदारद थे...जहां मरीज का सही से इलाज न करने पर महिला पत्रकार द्वारा आपत्ति जताई गई तो डॉक्टर द्वारा उनसे अभद्रता की गई...यहां तक की उनका नाम पूछने पर उन्होंने अपना नाम बताने से इनकार कर दिया साथ ही कहा कि जहां शिकायत करनी हो, कर दो, सीएमओ के पास जाना है चले जाओं.... हमारा कोई कुछ नहीं कर सकता .
जाहिर है उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है...व्यवस्थाओं का आलम यह है कि मरीजों की जान पर आफत आ रही है...लेकिन उसके बाद भी विभाग है कि मौन है...स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक इन सब मामलों से पूरी तरह से बेखबर हैं...या फिर उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था उनसे संभल नहीं रही है .ऐसे में सवाल है कि आखिर कब स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक की आंखे खुलेंगी, योगी सरकार कब ऐसे डॉक्टरों पर कार्रवाई करेंगे... क्योंकि जाँच करने और कार्यवाही करने की खानापूर्ति की परंपरा तो बर्षो से हम देखते ही चले आ रहे हैं . अब समय आ गया कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने चिरपरिचित अंदाज में कार्यवाही करें वर्ना जनता तो यही कह रही है यूपी में स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे

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