अवैध घुसपैठियों के खिलाफ सीएम योगी का बड़ा एक्शन...

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी कठोर और निर्णायक कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं, और शनिवार को उन्होंने एक बार फिर अपने अंदाज में सख्त कदम उठाए। योगी सरकार ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अवैध घुसपैठियों की तुरंत पहचान करें, डिटेंशन सेंटर बनाएं और उन्हें देश से बाहर निकाले। यह आदेश ऐसे समय में आया है जब चुनाव आयोग उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) चला रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि घुसपैठ और जनसांख्यिकीय असंतुलन के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाकर भाजपा और संघ इसे चुनावी रणनीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, खासकर योगी आदित्यनाथ के चेहरे के जरिए।

विशेषज्ञों के अनुसार, अगले साल यानी 2026 में असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और इन राज्यों में घुसपैठ और जनसांख्यिकीय बदलाव लंबे समय से राजनीतिक बहस का हिस्सा रहे हैं। 2025 में हुए महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों में भी यह मुद्दा प्रमुख रहा, और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की पार्टी को मिली हार में इसे एक महत्वपूर्ण कारक माना गया। प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने इन चुनावों में योगी आदित्यनाथ के रणनीतिक उपयोग से भाजपा को लाभ पहुँचाया।

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन और वहां हिंदुओं तथा उनके धर्मस्थलों पर हमलों का असर भारत के सीमावर्ती राज्यों, विशेषकर पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों पर भी पड़ा। भाजपा ने घुसपैठ और जनसांख्यिकीय असंतुलन को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने के लिए अलग-अलग राज्यों में चुनावी प्रयोग किए, जिससे हिन्दुत्व के साथ-साथ राष्ट्रवाद की भावना को भी बल मिला और यह व्यापक रूप से स्वीकार्य हुआ।

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ का ताजा आदेश इस रणनीति का स्पष्ट संकेत है। घुसपैठ और जनसांख्यिकीय असंतुलन को राष्ट्रीय मुद्दा बनाते हुए योगी की सख्त प्रशासनिक छवि का चुनावी इस्तेमाल किया जा रहा है। 2017 में सत्ता संभालने के बाद से योगी आदित्यनाथ ने विदेशी नागरिकों की पहचान और उन्हें वापस भेजने के आदेश दिए थे। विभिन्न सूत्रों के अनुसार, प्रदेश में बड़े पैमाने पर घुसपैठिए मौजूद हैं, और बांग्लादेश में हालात के बाद उनकी पहचान और कार्रवाई भाजपा के लिए विपक्ष पर दबाव बनाने का जरिया बन सकती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कार्रवाई पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में भी व्यापक चर्चा का विषय बनेगी। बिहार के बाद 2026 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी भाजपा योगी आदित्यनाथ के चेहरे का रणनीतिक उपयोग करने की संभावना तलाश रही है। इस कदम से उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के पक्ष में अच्छा जनमत बनेगा और 2027 के विधानसभा चुनाव में सपा, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर भाजपा को बढ़त दिलाने में मदद मिलेगी।

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