कांग्रेस वक्फ बिल को सुप्रीम कोर्ट में देगी चुनौती...

कांग्रेस पार्टी वक्फ संशोधन बिल की 'संवैधानिकता' को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। कांग्रेस सांसद और पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने इसका ऐलान किया है। कांग्रेस पार्टी की तरफ से यह बयान ऐसे समय आया है, जब वक्फ संशोधन बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों से ही पास हो चुका है। इस बिल को कानून के रूप में बदलने में अब सिर्फ राष्ट्रपति के हस्ताक्षर का फासला बाकी है। राष्ट्रपति के साइन होते ही वक्फ बिल कानून में बदल जाएगा।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पहले से ही कई कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही है। इनमें CAA 2019, RTI एक्ट 2005 में संशोधन और चुनाव नियमों में संशोधन शामिल हैं। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी पूजा स्थल अधिनियम-1991 को बरकरार रखने के लिए अदालत में हस्तक्षेप कर रही है।
इन मामलों में पहले ही चल रही है सुनवाई-
कांग्रेस के सीएए-2019 को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। साथ ही आरटीआई अधिनियम, 2005 में 2019 के संशोधनों को चुनौती देने के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
संसद में चर्चा के बाद पारित हुआ वक्फ बिल
जयराम रमेश ने कांग्रेस की कानूनी चुनौतियों पर विश्वास जताते हुए कहा कि उनकी पार्टी मोदी सरकार के एक्शन का विरोध जारी रखेगी। इन्हें पार्टी भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों पर हमला मानती है। बता दें कि संसद ने मैराथन और गरमागरम बहस के बाद गुरुवार की देर रात 2.33 बजे वक्फ संशोधन विधेयक 2025 राज्यसभा में पारित किया गया। सभापति जगदीप धनखड़ ने इस दौरान सदन को बताया कि बिल के समर्थन में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े। इसके साथ ही यह बिल राज्यसभा से भी पारित हो गया।
एमके स्टालिन भी इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती-
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पारित होने की आलोचना की और घोषणा की कि डीएमके इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. तमिलनाडु विधानसभा में सीएम स्टालिन ने कहा, "तमिलनाडु इस कानून के खिलाफ लड़ेगा और इसमें सफल होगा."
लोकसभा में विधेयक पारित होने के विरोध में डीएमके विधायकों ने विधानसभा सत्र के दौरान काली पट्टियां बांधीं, सीएम स्टालिन ने सदन को याद दिलाया कि 27 मार्च को तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर वक्फ संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग की थी. इस प्रस्ताव में कहा गया था कि यह कानून धार्मिक सद्भाव को कमजोर करता है और अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय पर नकारात्मक असर डाल सकता है.
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