वैज्ञानिक तरीके से करें कपास की खेती और बढ़ाएं पैदावार

कपास (Cotton) भारत की एक प्रमुख नकदी फसल है, जिसका उपयोग वस्त्र उद्योग, तेल उत्पादन और पशु चारे के रूप में होता है। किसानों की आय बढ़ाने और उत्पादन लागत घटाने के लिए उन्नत उत्पादन तकनीकों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। इस लेख में हम कपास की खेती के लिए नवीन और वैज्ञानिक तरीकों पर प्रकाश डालेंगे, जिससे अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त की जा सके।
 
1. उपयुक्त जलवायु एवं मृदा
 
जलवायु: कपास गर्म जलवायु की फसल है। इसके लिए 21°C से 30°C तापमान उपयुक्त होता है।
वर्षा: लगभग 60-100 सेमी वर्षा की आवश्यकता होती है।
मृदा: काली मिट्टी (रेगुर), दोमट मिट्टी, जल निकास वाली भूमि सर्वोत्तम होती है। pH मान 6 से 8 के बीच उपयुक्त होता है।
 
2. उन्नत किस्मों का चयन
 
क्षेत्र अनुशंसित किस्में
 
उत्तर भारत H-1300, F-846, LH-2076, RCH-134
मध्य भारत JK-99, RCH-2, Bunny Bt, NCS-855 Bt
दक्षिण भारत Suraj, NHH-44, RCH-20, MRC-6918 Bt
 
Bt कपास: कीट-प्रतिरोधी होती है और पैदावार अधिक देती है।
 
3. बीज का उपचार
 
फफूंदनाशक से उपचार: कार्बेन्डाजिम या थीरम @ 2-3 ग्राम/किग्रा बीज
जैविक उपचार: ट्राइकोडर्मा या पी.एस.बी. से बीज को उपचारित करने से फफूंदी व पोषक तत्व उपलब्धता बेहतर होती है।
 
4. बुवाई का समय व विधि
 
समय:
 
उत्तर भारत: अप्रैल–मई
मध्य भारत: जून–जुलाई
दक्षिण भारत: जुलाई–अगस्त
 
बीज दर:
 
गैर-Bt किस्मों के लिए: 12-15 किग्रा/हेक्टेयर
Bt किस्मों के लिए: 1.5-2 किग्रा/हेक्टेयर
विधि: कतारों में 60 x 30 सेमी की दूरी पर बुवाई करें।
 
5. सिंचाई प्रबंधन
 
पहली सिंचाई बुवाई के 4-5 दिन बाद करें।
फूल आने और बॉल बनने की अवस्था में नियमित सिंचाई करें।
टपक सिंचाई (Drip Irrigation) अपनाने से जल की बचत और उत्पादन में वृद्धि होती है।
 
6. खरपतवार नियंत्रण
 
शुरुआती 45 दिन सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं।
1-2 हाथ से निराई या यंत्रों द्वारा।
रसायनिक नियंत्रण: पेंडिमेथालिन या ग्लाइफोसेट का उपयोग करें।
 
7. तुड़ाई व भंडारण
 
जब 60-70% बॉल्स पक जाएं, तब तुड़ाई करें।
सूखे और साफ स्थान पर भंडारण करें।
प्लास्टिक की बोरियों में न भरें, सांस लेने योग्य बोरी का उपयोग करें।
 
8. अन्य उन्नत तकनीकें
 
आईपीएम (एकीकृत कीट प्रबंधन): जैविक व रासायनिक उपायों का संतुलित प्रयोग
आईएफएम (एकीकृत पोषण प्रबंधन): जैविक, रासायनिक व सूक्ष्म पोषक तत्वों का उपयोग
कृषि यंत्रीकरण: बोवाई, सिंचाई, निराई व तुड़ाई के लिए आधुनिक यंत्रों का प्रयोग
 
कपास की खेती में यदि किसान उन्नत तकनीकों को अपनाएं, जैसे कि उन्नत किस्मों का चयन, जैविक खादों का प्रयोग, समय पर सिंचाई, और कीट प्रबंधन तो वे न केवल उत्पादन बढ़ा सकते हैं बल्कि गुणवत्ता में भी सुधार ला सकते हैं। इससे उनकी आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।

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