1.5 एकड़ से हर साल 12 लाख की कमाई, जानिए कैसे?

महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त बीड जिले के आष्टी तालुका में एक किसान ने वह कर दिखाया है, जो आमतौर पर असंभव माना जाता है। जहां परंपरागत खेती साल दर साल मौसम की मार झेलती रही है, वहीं केलसांगवी गांव के दत्तात्रेय घुले नामक किसान ने खजूर की खेती से लाखों की कमाई कर अन्य किसानों के लिए एक नई राह खोल दी है।

पारंपरिक खेती को कहा अलविदा, अपनाई खजूर की खेती

सूखे और अनिश्चित मौसम के चलते दत्तात्रेय घुले ने परंपरागत खेती को छोड़कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खेती करना शुरू किया। उन्होंने अपने डेढ़ एकड़ खेत में 80 खजूर के पेड़ लगाए। आज, इन पेड़ों से उन्हें सालाना 10 से 12 लाख रुपये तक की आय प्राप्त हो रही है। यह पहल न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभदायक साबित हुई है, बल्कि इसने आष्टी जैसे सूखा प्रभावित इलाके में खेती को एक नई दिशा दी है।

बारली किस्म की खजूर का चयन – कम पानी, ज्यादा मुनाफा

घुले ने ‘बारली’ किस्म के खजूर लगाए हैं, जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ देखने में भी आकर्षक होते हैं। यह किस्म कम पानी में भी अच्छे उत्पादन की गारंटी देती है। उन्होंने पेड़ लगाने की दूरी 25x25 फीट रखी है, जिससे पर्याप्त पोषण और स्थान हर पेड़ को मिल सके।

✦ एक एकड़ में लगभग 65 पेड़ लगाए जा सकते हैं
✦ हर पेड़ से 200 किलो तक फल मिलते हैं
✦ हर पेड़ से ₹20,000 तक की आमदनी हो सकती है
टिशू कल्चर से तैयार पौधे – उच्च गुणवत्ता लेकिन महंगे

दत्तात्रेय घुले ने टिशू कल्चर से तैयार पौधों का चयन किया है, जिनकी कीमत लगभग 4,350 प्रति पौधा है। हालांकि, यह कीमत आम किसानों के लिए ज्यादा हो सकती है। गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में सरकारें ऐसे पौधों पर सब्सिडी देती हैं। घुले की मांग है कि महाराष्ट्र सरकार भी ऐसी योजनाएं लागू करे ताकि ज्यादा किसान इस तरह की खेती अपना सकें।

कम पानी वाले फलों की ओर किसानों का रुझान जरूरी

दत्तात्रेय घुले का मानना है कि किसानों को अब पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर ड्रैगन फ्रूट, खजूर और अन्य कम पानी वाली फसलों की ओर रुख करना चाहिए। ये फसलें कम संसाधनों में भी अधिक उत्पादन देती हैं और बाजार में इनकी मांग भी बनी रहती है।

दत्तात्रेय घुले की यह सफलता कहानी सिर्फ एक किसान की उपलब्धि नहीं, बल्कि उन हजारों किसानों के लिए उम्मीद की किरण है जो सूखा और खराब मौसम जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। आधुनिक तकनीकों और सही जानकारी के साथ खेती न केवल लाभदायक बन सकती है, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर भी एक बड़ा कदम हो सकती है।

प्रेरणा लें, प्रयोग करें, बदलाव लाएं – यही है नए युग की खेती!

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