दतिया का नाम फिर हुआ रोशन — डॉ. अनिल कुमार दुबे को काशी हिंदी विद्यापीठ, वाराणसी से ‘विद्या-सागर’ (डिलीट समतुल्य) मानद सम्मान

दतिया : दतिया जिले के लिए एक बार फिर गौरवशाली क्षण आया है। जिले के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद्, योगाचार्य और डाइट दतिया के प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार दुबे (योगभूषण) को काशी हिंदी विद्यापीठ, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) द्वारा ‘विद्या-सागर’ (डिलीट समतुल्य) मानद सम्मान से अलंकृत किया गया। यह सम्मान डॉ. दुबे को शिक्षा, योग, अनुसंधान, साहित्य और समाजसेवा के क्षेत्र में चार दशकों से अधिक समय से किए गए उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया।संपूर्ण भारतवर्ष में काशी हिंदी विद्यापीठ द्वारा ‘विद्या-सागर’ मानद उपाधि से केवल चार विभूतियों को सम्मानित किया गया, जिनमें मध्यप्रदेश से दतिया के डॉ. अनिल कुमार दुबे का चयन होना पूरे जिले के लिए गर्व का विषय है।कार्यक्रम का भव्य आयोजन,सम्मान समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुआ। मंचासीन अतिथियों में काशी हिंदी विद्यापीठ, वाराणसी के कुलपति डॉ. संभाजी राजाराम बाविस्कर, श्री श्री 1008 निरंकारानंद महाराज (महामंडलेश्वर), प्रोफेसर एन. एन. तिवारी, डॉ. योगेश तरेहन तथा अनेक पीठों के पीठाधीश्वर, विद्वान और शिक्षाविद् उपस्थित रहे।कार्यक्रम के दौरान कुलपति एवं प्रमुख अतिथियों ने डॉ. दुबे को ‘विद्या-सागर (डिलीट समतुल्य) मानद सम्मान’ से सम्मानित किया। समारोह में शिक्षकों, शोधकर्ताओं और विद्वानों ने डॉ. दुबे की शिक्षा, योग साधना और समाजसेवी योगदान की सराहना की।40 वर्षों की सेवा, शिक्षा और साधना का सम्मान,डॉ. दुबे को यह मानद उपाधि उनके 40 वर्षों की सारस्वत साधना, योग सेवा, महनीय शोध कार्य, विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के सर्वांगीण विकास में योगदान तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा के आधार पर प्रदान की गई।यह सम्मान काशी हिंदी विद्यापीठ की अकादमिक परिषद की अनुशंसा पर दिया गया, जो शिक्षा जगत में अत्यंत प्रतिष्ठित माना जाता है।दतिया से लेकर काशी तक गूंजा नाम,डॉ. दुबे ने अपने शैक्षणिक जीवन में दतिया जिले के अनेक विद्यालयों में हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्तर पर अध्यापन किया है। इसके साथ ही डाइट दतिया में प्राचार्य के रूप में वे वर्षों से शैक्षणिक नेतृत्व की भूमिका निभा रहे हैं।उनकी प्रेरणा से अनेक शिक्षक और विद्यार्थी राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुके हैं।योग और संस्कृति के संवाहक,शिक्षा के साथ-साथ डॉ. दुबे ने योग और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। उन्हें पूर्व में ‘योगभूषण’, ‘योगश्री’, ‘राजपाल अवार्ड’, ‘भारत रत्न काशी महामना सम्मान’, ‘संदीपनी सम्मान’ सहित कई प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से अलंकृत किया जा चुका है,जिलेभर में बधाइयों की बौछार,डॉ. दुबे के इस सम्मान पर दतिया जिले में हर्ष की लहर दौड़ गई। शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा सामाजिक संगठनों ने उन्हें बधाइयां और शुभकामनाएं दीं।सभी ने कहा कि डॉ. दुबे ने अपने समर्पण, साधना और शिक्षण कर्म के माध्यम से दतिया जिले का नाम एक बार फिर पूरे देश में रोशन किया है।यह सम्मान न केवल डॉ. दुबे की व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि दतिया जिले की शिक्षण परंपरा, संस्कार और ज्ञान की समृद्ध धारा का भी सम्मान है।

रिपोर्टर : नितिन कुमार दांतरे

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