मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र सेनानियों से की भेंट नोडल अधिकारी नियुक्त करने के दिए निर्देश

देहरादून - मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज आपातकाल लगाए जाने की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर 'संविधान हत्या दिवस' कार्यक्रम में लोकतंत्र सेनानियों से संवाद किया। मुख्यमंत्री आवास में आयोजित इस राज्य स्तरीय कार्यक्रम में आपातकाल के दौरान मीसा एवं डीआईआर अधिनियम के तहत बंदी बनाए गए लोकतंत्र सेनानियों को आमंत्रित किया गया था। मुख्यमंत्री श्री धामी ने लोकतंत्र सेनानियों के मुद्दों के त्वरित समाधान हेतु शासन स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सेनानियों के कल्याण को लेकर आगामी मानसून सत्र में एक विधेयक लाने की तैयारी की जाएगी। सीएम ने लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि की प्रक्रिया को सरल बनाने, और सभी पात्र सेनानियों को तत्काल प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने के लिए संबंधित सचिव को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि सरकार लोकतंत्र सेनानियों को मिलने वाली मासिक सम्मान निधि में पहले ही वृद्धि कर चुकी है, जिसे भविष्य में और बढ़ाया जाएगा। "हम लोकतंत्र सेनानियों की हर समस्या के समाधान हेतु पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। आपका योगदान राष्ट्र के लिए अमूल्य है। इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए हम हर वर्ष सम्मान कार्यक्रम आयोजित करते रहेंगे," – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री ने 25 जून 1975 को भारतीय लोकतंत्र का काला दिन बताते हुए कहा कि यह एक व्यक्ति की तानाशाही सोच का परिणाम था, जिसमें संविधान की आत्मा को कुचला गया। उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण, नानाजी देशमुख और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे महान नेताओं के योगदान को नमन किया, जिन्होंने जेलों में रहकर भी लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प नहीं छोड़ा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उस दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमिगत रहकर लोकतंत्र की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई। उनके ही प्रयासों से 25 जून को "संविधान हत्या दिवस" के रूप में मनाने की परंपरा आरंभ हुई, ताकि देश की नई पीढ़ी उस काले अध्याय से परिचित रह सके। मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य से लिए गए निर्णय देशभर में मिसाल बन रहे हैं, जिसमें नकल विरोधी सख्त कानून और SDG रैंकिंग में पहला स्थान प्रमुख उपलब्धियां हैं। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री श्री भगत सिंह कोशियारी, सचिव श्री शैलेश बगौली, लोकतंत्र सेनानी श्री कृष्ण कुमार अग्रवाल, श्री प्रेम बड़ाकोटी सहित बड़ी संख्या में लोकतंत्र सेनानी और उनके परिजन उपस्थित रहे। राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी. आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई और प्रेस पर भी सेंसरशिप लगाई गई थी। यह दौर भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में अब तक का सबसे विवादास्पद काल माना जाता है।
संवाददाता – प्रवचन सिंह
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