मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पदाधिकारी के साथ आर एस एस के सरसंघचालक मोहन भागवत जी के साथ बैठक

नई दिल्ली - नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आदरणीय सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पदाधिकारियों के साथ गरिमामय शिष्टाचार भेंट की और अपने अमूल्य विचार साझा किए। इस महत्वपूर्ण बैठक ने आपसी संवाद, समन्वय और राष्ट्रीय एकता की भावना को और सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर सर कार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी, संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख श्री रामलाल जी, और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक डॉ. इंद्रेश कुमार जी विशेष रूप से उपस्थित रहे। इसके अलावा अखिल भारतीय संपर्क टोली के सदस्य श्री कृष्ण कुमार जी , मो.अफ़ज़ल जी , प्रो.(डॉ.)शाहिद अख्तर ज़ी गिरीश जोयल जी,विराग पचपोर जी,मो फारूक खान जी ,तथा मंच के सभी राष्ट्रीय संयोजक एव प्रकोष्ठों के संयोजक सहित देश भर के 35 प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में देश में हिंदू-मुस्लिम जैसे धार्मिक विवाद को कम करने का लक्ष्य भी तय किया गया है। यह युद्धों व संरक्षणवादी आर्थिकी निर्णयों से बदलते वैश्विक माहौल में देश के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी भी माना जा रहा है। देश को आर्थिक प्रगति व स्थिरता देने के लिए जरूरी है कि आपसी मतभेद खत्म हो और हिंदू-मुस्लिम मिलकर आगे बढ़ें। मुस्लिम समाज से संवादों का यह सिलसिला संघ की करीबी संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) की ओर से तेज किया जाएगा। आगामी दो माह में दिल्ली में एक बड़े मुस्लिम सम्मेलन के साथ ही देशभर में जिला स्तर पर मुस्लिम बौद्धिक बैठकों का आयोजन होगा। जिसमें संघ पदाधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। इसी तरह,शताब्दी वर्ष में संघ द्वारा लक्षित करीब 20 करोड़ घरों में गृह संपर्क में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में यह जिम्मा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच उठाएगा। यह निर्णय गुरुवार को हरियाणा भवन में सरसंघचालक मोहन भागवत की मंच के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया,चर्चा का मुख्य विषय देश की प्रगति की दिशा में कैसे हिंदू मुस्लिम समाज की दूरियां कम हो? कैसे एक भारतीयता की पहचान को मजबूत किया जाए? बैठक में संघ प्रमुख की ओर से मुस्लिम समाज के आर्थिकी व शैक्षणिक विकास के प्रयासों पर जोर देने का निर्णय लिया गया, जिससे वह समाज की मुख्य धारा में आए। बैठक में मोहन भागवत की ओर से स्पष्ट संदेश दिया गया कि हिंदू-मुस्लिम दो नहीं बल्कि, एक ही हैं। दोनों भारत के अखंड हिस्सा हैं। परंपराओं, पूर्वजों के साथ ही दोनों का डीएनए एक ही है। बैठक में कश्मीर के हालातों पर भी चर्चा हुई तथा वहां के लोगों की बदलती सोच को सकारात्मक बताया गया तथा वहां गृह संपर्क पर विशेष रूप से जोर देने को कहा गया। इसके पूर्व संघ प्रमुख मोहन भागवत जी की मुस्लिम धर्मगुरुओं ओलेमाओ के साथ भी कुछ दिन पूर्व भी हरियाणा भवन में ही बैठक की थी। ये बैठकें उस संवाद का क्रम है जिसमें नियमित रूप से संघ प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों से मिल रहे हैं और समाजों के बीच बने भ्रम को दूर कर नजदीक लाने के विभिन्न तरीकों पर चर्चा हो रही है।आदरणीय सरसंघचालक ने बैठक में अपने विचार साझा करते हुए संवाद और सहयोग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को हमेशा मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान की है, और यह सिलसिला आगे भी समाज के समग्र विकास और राष्ट्रीय सौहार्द की दिशा में लाभकारी साबित होगा
रिपोर्टर - चंद्रकांत सी पूजारी
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