दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी रेखा गुप्ता, क्या होंगी चुनौतियां...
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Adarsh kanoujia
8 फरवरी को दिल्ली की सत्ता में भाजपा की 27 साल बाद वापसी हुई जीत के बाद बड़ा सवाल था कि दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन होगा,नतीजों के बाद से ही इस बात पर ससपेंस बना हुआ था। मुख्यमंत्री के पद के लिए कई नाम चल रहे थे जिसमें से प्रवेश वर्मा का नाम सबसे आगे चल रहा था। लेकिन सरकार जब भाजपा की बनी हो तो यह अनुमान लगा पाना मुश्किल है कि फाईनल मुहर किसके नाम पर लगेंगी और ठीक ऐसा ही हुआ जब पार्टी ने सबको चौंकाते हुए दिल्ली मुख्यमंत्री पद के लिए रेखा गुप्ता को चुना।
पार्टी ने रेखा गुप्ता को क्यों चुना-
इस सवाल का जवाब खुद पार्टी के नेताओं ने दिया...दिल्ली की उत्तर-पूर्वी सीट से सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि महिला सम्मान बीजेपी की प्राथमिकता है। उन्होंने ये कहकर इस बात के संकेत दिए हैं कि महिला फैक्टर को देखते हुए ही रेखा गुप्ता का नाम बतौर मुख्यमंत्री तय किया गया है।
उनके अलावा दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने भी रेखा गुप्ता की जमकर तारीफ की। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, "आपकी निस्वार्थता और समर्पण बेमिसाल है, भाजपा विधायक दल की नेता रेखा गुप्ता."
कौन है रेखा गुप्ता-
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने शालीमार बाग सीट से आम आदमी पार्टी की बंदना कुमारी को क़रीब 30 हज़ार वोट से हराया था।
वह इसी सीट पर 2020 के चुनाव में मामूली अंतर से हार गईं थीं। रेखा गुप्ता दिल्ली नगर निगम की पार्षद और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। दिल्ली चुनाव में जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए जिन नामों की चर्चा हो रही थी उनमें से रेखा गुप्ता का नाम भी प्रमुख था।
उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत दिल्ली यूनिवर्सिटी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ की। 1996 में वो दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष बनीं। 2004 से 2006 तक वो भारतीय जनता पार्टी की युवा मोर्चा की राष्ट्रीय सचिव रहीं। इसके बाद 2007 में वो दिल्ली के पीतमपुरा (उत्तर) की काउंसिलर बनीं।रेखा गुप्ता दिल्ली बीजेपी महिला मोर्चा की जनरल सेक्रेटरी भी रह चुकी हैं। साल 2012 में वो पार्षद बनी, 2015 में उनको महापौर बनाने कि चर्चा जोरों पर थीं। साल 2017 में उन्होंने पार्षदीय चुनाव नहीं लड़ा लेकिन 2022 में उन्होंने शालीमार वार्ड बी से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद वो दिल्ली विधानसभा चुनाव मामूली अंतर से हार गई लेकिन 2025 विधानसभा चुनाव में वो शालीमार सीट 29 हजार से ज्यादा वोटों से हार गई।
निजी जीवन-
उनका जन्म 1974 में हरियाणा के जींद ज़िले के जुलाना में हुआ था, बचपन से ही वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गईं।उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम और एलएलबी किया। 1998 में उनका विवाह दिल्ली के रहने वाले मनीष गुप्ता से हुआ।
चुनाव आयोग में दाखिल उनके हलफ़नामे के मुताबिक़ साल 2023-24 वित्तीय वर्ष में उनकी कुल आय 6,92,050 रुपए बताई गई है। जबकि इसी अवधि में उनके पति मनीष गुप्ता की आय 97,33,570 रुपए बताई गई है.
रेखा गुप्ता के लिए क्या होंगी चुनौतियां-
-यमुना की सफाई
भाजपा के अभियान के दौरान यमुना की सफाई एक बड़ा मुद्दा था। भाजपा ने एक दशक लंबे शासन में नदी की सफाई में विफल रहने के लिए आप को घेरा, जबकि केजरीवाल ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार नदी को ‘जहरीले अमोनिया’ से प्रदूषित कर रही है। दिल्ली में पांच फरवरी को हुए चुनाव में जीत के बाद भाजपा के विजय उत्सव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने नदी की सफाई के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। प्रशासन ने दिल्ली में यमुना के 57 किलोमीटर लंबे हिस्से में सफाई अभियान के लिए कचरा निकालने वाली मशीनें, खरपतवार निकालने वाली मशीनें और ड्रेजर तैनात करना शुरू कर दिया है।
-खराब सड़कें, प्रदूषण
इसके अलावा, भाजपा सरकार पर दिल्ली की खराब होती सड़कों और सीवेज व्यवस्था को सुधारने का दबाव होगा। खराब बुनियादी ढांचा मतदाताओं की एक बड़ी चिंता थी और इन मुद्दों का समाधान करना सरकार की विश्वसनीयता के लिए महत्वपूर्ण होगा। प्रदूषण दिल्ली के लिए सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है, क्योंकि यह वैश्विक स्तर पर सबसे प्रदूषित राजधानियों में से एक है। भाजपा सरकार पर इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति को अद्यतन करने सहित एक प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण रणनीति को लागू करने का दबाव होगा, जिसे आप 2020 में लागू होने के बाद संशोधित करने में विफल रही।
-200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी योजना चालू रखना
भाजपा के लिए एक और बड़ी चुनौती आप सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखना होगा, जिसमें 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी का कनेक्शन और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा आदि शामिल हैं। जबकि भाजपा ने मतदाताओं को आश्वासन दिया है कि ये लाभ बंद नहीं किए जाएंगे, आप नेताओं ने पार्टी की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मतदाताओं को भरोसा दिलाया था कि मुफ्त योजनाएं जारी रहेंगी लेकिन ऐसे कार्यक्रमों में ‘भ्रष्टाचार’ को खत्म किया जाएगा।
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